उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित दारूल उलूम देवबंद ने गीता के श्लोक गाने वाली लड़की आलिया के खिलाफ फतवा जारी किया है। दारूल उलूम देवबंद ने कहा है कि गीता का श्लोक पढ़ना इस्लाम के खिलाफ है। इससे पहले दारूल उलूम के ऑनलाइन फतवा विभाग के चेयरमैन मुफ्ती अरशद फारुकी ने ऐसा करने को इस्लाम विरोधी बताया था। उन्होंने कहा कि किसी भी स्कूल की मुस्लिम बच्ची या बच्चे द्वारा ऐसा रूप रखना गैर इस्लामिक है और इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। इस मुफ्ती ने कहा था कि ऐसे ड्रामे या पाठ जो इस्लाम के खिलाफ हो उसमें मुस्लिम बच्चों को शामिल नहीं होना चाहिए। लेकिन आलिया ने ऐसे इस्लामिक धर्मगुरुओं को करारा जवाब दिया है। आलिया ने टाइम्स नाउ को कहा है कि मैंने इस कॉम्पीटिशन में पुरस्कार जीता है, अपना धर्म नहीं बदल लिया है। आलिया ने कहा कि इस्लाम गाने से मेरा इस्लाम नहीं बदल गया, मेरा मजहब नहीं बदल गया। आलिया ने कहा कि हमारे धर्मगुरुओं को गीता के श्लोक गाने से कोई असर नहीं पड़ने चाहिए।

बता दें कि हाल ही में दारूल उलूम देवबंद ने डिजाइनर बुर्कों पर फतवा जारी किया है। दारुल उलूम ने महिलाओं के चुस्त बुर्के पहनने को इस्लाम में नाजायज करार दिया है। दारूल उलूम ने बुर्के पर फतवा जारी करते हुए कहा कि मुस्लिम महिलाओं को घर से बाहर निकलते समय तंग बुर्का नहीं पहनना चाहिये । दारूम उलूम के फतवा विभाग के अध्यक्ष मुफ्ती हबीबुर्रहमान खैराबादी ने बताया कि से किसी व्यक्ति ने लिखित में सवाल किया था कि क्या मुस्लिम महिलाओं को चुस्त कपड़े और चुस्त बुर्का पहनना चाहिये। इस सवाल का जबाव देते हुए विभाग ने कहा कि पैगंबर ने फरमाया है कि औरतें जब बाहर निकलती हैं तो शैतान उन्हें घूरता है। इसलिये बिना जरूरत के औरत को घर से नहीं निकलना चाहिये।

दारूल उलूम के मुताबिक यदि जरूरत पड़ने पर महिलाएं घर से निकलें तो ढीला-ढाला लिबास पहनकर निकलें। तंग और चुस्त कपड़े या चुस्त बुर्का पहनकर न निकलें। फतवा विभाग ने इस तरह के बुर्के पहनकर निकलने को भी इस्लाम में गुनाह बताया जिनमें चमक-दमक के सितारे लगे हों और आम आदमी की निगाह उन पर पड़े । उन्होंने कहा कि इस तरह के लिबास फसाद की जड़ होते हैं। इस तरह के कपड़े पहनने वाले भी गुनहगार हैं और देखने वाले भी गुनहगार।