जिले में आपराधिक घटनाओं का सिलसिला पूर्ववर्ती सपा सरकार की तरह ही जारी है। इससे जनसामान्य में संशय है कि क्या पुलिस प्रदेश सरकार के नियंत्रण में नहीं है? बतौर नजीर बात करें तो जिले में माह मई के 27 दिन में 17 हत्या, 6 दुष्कर्म, 4 लूट, 1 हाइवे लूट, 5 चोरी, दो थाना क्षेत्रों हसनगंज व मौरावां में गोहत्या तथा थाना बिहार (पाटन) में एक युवती पर तेजाब फेंके जाने की घटना पुलिस की सक्रियता के बावजूद घटित हुई है जबकि वर्ष 2016 के दिसंबर माह में 14 हत्या, 6 लूट, 5 चोरी 6 दुष्कर्म की घटनाओं से जनता का मन सपा सरकार के प्रति हटने लगा था।  प्रदेश में सुशासन के नाम पर प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई भाजपा सरकार के मई के 27 दिनों में घटित अपराधिक घटनाओं से भी लोगों की मन:स्थिति प्रदेश सरकार के प्रति पहले जैसी नहीं दिखाई पड़ती। विकासखंड माखी क्षेत्र के गांव बरभौला के प्रधान मुनेन्द्र सिंह, ब्लाक नवाबगंज क्षेत्र के गांव महनौरा के ग्राम प्रधान कमलेश तिवारी व विकासखंड बांगरमऊ क्षेत्र की सबसे बडी ग्राम पंचायत शादीपुर की ग्राम प्रधान जरीना बेगम की माने तो योगी सरकार अपराधों में अब तक कमी नहीं ला सकी है।
कई मामले अनसुलझे

जबकि पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में जिले के सदर कोतवाली क्षेत्र में सूचना विभाग के चौकीदार के अलावा प्रयाग नारायण खेड़ा निवासी अधिवक्ता के अलावा आधा दर्जन हत्या व लूट की घटनाओं का पटाक्षेप अब तक नहीं हो सका है। कस्बा मौरावां निवासी चिकित्सक के घर बीते दिनों पड़ी डकैती के अलावा चार दलित महिलाओं की हत्या पुलिस प्रशासन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसके अलावा सपा शासन में पुलिस फाइलों में दर्ज लूट व गंभीर अपराधों मामले भी अब तक नहीं खुले हैं। मामला चाहे चार दलित महिलाओं की हत्या से संबंधित हो या फिर जिले में अब तक हुई अनगिनत लूट से प्रत्येक में पुलिस फेल साबित हुई। खुलासे को लेकर दबाव बढ़ा तो हर बार एक मनगढ़ंत कहानी तैयार कर फर्जी वाहवाही लूटने का काम किया गया। पुलिस कालूखेड़ा में पेट्रोल पंप व्यवसायी के घर हुई लाखों की लूट के मामले में असली गुनहगारों को जेल के सीखचों तक पहुंचा नहीं पाई है।