समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान ने बिना किसी का नाम लिए बड़ी बात कही है। उन्होंने दावा किया कि नामांकन में देरी की वजह से किसी के लिए उन्होंने हेलीकॉप्टर से टिकट मंगवाया और चुनाव में उस शख्स का खर्चा भी नहीं होने दिया। सोमवार (6 जून, 2022) को रामपुर में तोपखाना रोड स्थित सपा कार्यालय में उन्होंने यह बात कही।

समाजवादी पार्टी ने रामपुर सीट पर आसिम राजा को उम्मीदवार बनाया है। आजम खान ने सपा उम्मीदवार के तौर पर आसिम राजा के नाम की घोषणा की और बीजेपी उम्मीदवार पर हमला बोला। उन्होंने कहा, “भारतीय जनता पार्टी ने हमारे मुकाबले में एक ऐसे व्यक्ति को उतारा है, जिसे हमने दो बार एमएलसी बनवाया है। उन्हें नामांकन के लिए देर हो रही थी, तो हमने हेलीकॉप्टर से उनका टिकट मंगवाया था और चुनाव में उनका कुछ खर्चा भी नहीं होने दिया था, लेकिन जीत की खुशी में मिठाई का एक दाना तक नहीं खाया था।”

कौन हैं घनश्याम लोधी, जिन्हें रामपुर सीट पर बीजेपी ने बनाया उम्मीदवार?
भारतीय जनता पार्टी ने रामपुर लोकसभा सीट से घनश्याम लोधी को मैदान में उतारा है, कभी जिनकी गिनती आजम खान के करीबीयों में होती थी। घनश्याम लोधी ने बीजेपी के साथ अपना सियासी सफर शुरू किया, लेकिन बाद में वह बसपा में शामिल हुए और फिर कल्याण सिंह की पार्टी राष्ट्रीय क्रांति पार्टी के साथ हो गए। साल 2004 में राष्ट्रीय क्रांति पार्टी और सपा गठबंधन में आ गए और बरेली-रामपुर सीट से घनश्याम को उम्मीदवार बनाया गया। इन चुनावों में घनश्याम को जीत मिली।

साल 2011 में वह समाजवादी पार्टी में शामिल हुए और उन्होंने 2014 एवं 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा के लिए खूब काम किया। इसी दौरान, उनके आजम खान के साथ संबंध काफी अच्छे हो गए, और आजम ने लोधी को स्थानीय निकाय से विधान परिषद भेजने के लिए पूरी ताकत लगा दी। आजम खान ने अंतिम पलों में घनश्याम लोधी के लिए पार्टी का सिंबल हेलीकॉप्टर के जरिए लखनऊ से रामपुर मंगवाया और उनका नामांकन हुआ। विधान परिषद का सदस्य बनने के बाद घनश्याम लोधी को आजम खान के करीबी लोगों में गिना जाने लगा। एमएलसी का छह साल का कार्यकाल खत्म होने से दो महीने पहले ही घनश्याम लोधी बीजेपी में शामिल हो गए।

आजम ने सुनाई 27 महीनों की जेल की दास्तां

इस मौके पर आजम ने जेल में बिताए 27 महीनों का दर्द बयां किया और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि हमारे साथ जो भी हुआ वह सब एक एजेंडे के तहत किया गया।

उन्होंने अपने ऊपर लगाए गए मुकदमों के बारे में बात करते हुए कहा कि इतने मुकदमों में एक भी मुकदमा घूसखोरी और मारपीट का नहीं है। उन्होंने कहा कि जो मुकदमे लगाए गए हैं, उनमें हम, हमारी बीवी और बेटे पर शराब की दुकान लूटने के आरोप थे।

इस दौरान आजम काफी भावुक हो गए और उन्होंने बताया कि जेल में बिताए अंतिम दिन काफी तकलीफ भरे थे। आजम के जेल में तबीयत भी खराब हो गई थी। इस पर उन्होंने कहा कि जेल में मर जाना कोई बड़ी बात नहीं थी, जेलों में लोग मर जाते हैं। जिस जेल में हम थे, उसे खुदकुशी की जेल कहा जाता है। सरकार यह इल्जाम लेना नहीं चाहती थी।