अक्सर सरकारी या फिर प्राइवेट दफ्तरों में सीनियर अधिकारियों द्वारा अपने जूनियर कर्मचारियों पर रौब झाड़ने या फिर अपने पद का गलत इस्तेमाल कर जूनियर अधिकारियों के शोषण करने की खबरें आती रहती हैं। लेकिन इस बार एक जूनियर अधिकारी ने अपने सीनियर अधिकारी को उनकी इस कारस्तानी के लिए खूब सबक सिखाया है। यह मामला जुड़ा है उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के पुलिस महकमे से। मिली जानकारी के मुताबिक मथुरा के एडिशनल एसपी राकेश सिंह सोनकर ने कॉनस्टेबल पुष्पेंद्र सिंह को दूध लाने का फरमान जारी किया।
कॉन्सटेबल पुष्पेंद्र सिंह ने बड़े साहब के इस आदेश को मानने से इनकार कर दिया। एक अदने से कर्मचारी की इस नाफरमानी से एएसपी साहब का गुस्सा सांतवें आसमान पर चढ़ गया। झल्लाए एसपी साहब ने थाने जाकर सिपाही पुष्पेंद्र सिंह के खिलाफ गैर हाजिर रहने की रिपोर्ट दर्ज करा दी। लेकिन अपने जूनियर कर्मचारी पर यह रौब झाड़ना और उसके खिलाफ रपट लिखवाना इस बार उल्टे एएसपी साहब को ही भारी पड़ गया।
सिपाही पुष्पेंद्र सिंह ने एसपी साहब के साथ हुई बातचीत का ऑडियो तैयार कर रखा था। इस ऑडियो क्लिप में मथुरा एएसपी क्राइम राकेश सिंह कॉन्सटेबल को दूध लाने का हुक्म देते सुनाई दे रहे थे। जैसे ही सिपाही पुष्पेंद्र सिंह को अपने खिलाफ थाने में रिपोर्ट लिखवाने की सूचना मिली उसने इस ऑडियो क्लिप को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। क्लिप वायरल होते ही पहले तो एसपी साहब ने सिपाही के खिलाफ अपनी रिपोर्ट वापस ले ली। इस पूरे मामले पर एडिशनल एएसपी सफाई देते फिर रहे हैं। उन्होंने ऑडियो क्लिप को लेकर कहा कि मैंने कॉन्सटेबल पुष्पेंद्र सिंह को समय पर आने के लिए कहा था।
बहरहाल इस पूरे विवाद पर सिपाही पुष्पेंद्र सिंह ने अभी तक कुछ भी नहीं कहा है लेकिन इस मामले के उजागर होने के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप जरूर मच गया है। सवाल उठने लगे हैं कि क्या पुलिस विभाग में छोटे कर्मचारियों के साथ उनके सीनियर्स ऐसा व्यवहार करते हैं? पहले से ही काम के बोझ तले दबे सिपाहियों को अपने पद का रौब दिखाकर उनसे अपने घर का या फिर अपना निजी काम कराना अपराध नहीं है?
