उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने एक बार फिर अपनी ही सरकार के खिलाफ बात कही है। उन्होंने शनिवार को सुल्तानपुर में बहुत सी परियोजनाओं का लोकार्पण किया। इसी दौरान वरुण गांधी ने इमर्जेंसी विंग का भी शुभारंभ किया और देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि देश के किसी भी जिला अस्पताल में चले जाइए, अगर आंखों से आंसू न आए तो आप इंसान नहीं हैं। वरुण गांधी ने कहा, ‘हम लोग आईएएस, आईपीएस, आईएफएस बना चुके हैं, क्या हमारे देश में कभी इंडियन मेडिकल सर्विस भी बनेगी। क्या एक इंडियन एजुकेशन सर्विस भी बनेगी। हमारे देश में दो लाख डॉक्टर बेरोजगार हैं इस समय। 50 फीसदी लोग ऐसे हैं जो अपना बेसिक मेडिकल एजुकेशन लेने के बाद एमडी तक नहीं पहुंच पाते।’
उन्होंने स्वास्थ्य व्यवस्था पर खर्च किए जाने वाले बजट पर भी सवाल उठाया। वरुण गांधी ने कहा, ‘जीडीपी का केवल 2 फीसदी बजट स्वास्थ्य में खर्च होता है, उस देश का भविष्य कभी ठीक नहीं हो सकता। मैं चाहता हूं कि जीडीपी का 10 फीसदी शिक्षा पर खर्च हो और 10 फीसदी स्वास्थ्य पर खर्च हो। तभी इंसान की कीमत होगी हमारे देश में, उसके जीवन का एक अर्थ होगा।’
As promised, handed over a new emergency wing equipped with state-of-the-art machines and a trained medical staff to the people of Sultanpur. The new maternity and child-care hospital will be open to the people of the district in a few months. pic.twitter.com/OwYIpXtkhB
— Varun Gandhi (@varungandhi80) January 20, 2018
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौतों पर दुख जताते हुए बीजेपी सांसद ने कहा, ‘जब गोरखपुर कांड हुआ था तो मैंने अपनी आत्मा से सवाल किया था कि अब इस चीज का तोड़ क्या हो सकता है। मैंने सोचा कि जो 16 लाख लोगों ने मुझे अपने सम्मान और सुरक्षा की जिम्मेदारी दी है, उसे मुझे निभाना है। मुझे पहले उन 16 लाख लोगों की ओर से सौंपी गई जिम्मेदारी को पूरा करना है। इस सुल्तानपुर ने इस देश को बहुत कुछ दिया है, प्रधानमंत्री दिए हैं, लेकिन अफसोस की बात है कि सुल्तानपुर के जिला अस्पताल… या देश के किसी भी जिला अस्पताल में चले जाइए, तो आपकी आंख में अगर आंसू ना आ जाएं तो आप इंसान नहीं हैं। दो-दो माताएं एक ही बिस्तर पर एक साथ जन्म दे रही हैं। ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट जो देश का सबसे बड़ा अस्पताल है, उनका मानना है कि पचास फीसदी लोग पैसे के अभाव में, दवाओं के अभाव में छूटने के बाद एक साल के अंदर खत्म हो जाते हैं।’
