अभिनेता सनी देओल का कहना है कि सेंसर बोर्ड को किसी भी फिल्म को रिलीज होने से नहीं रोकना चाहिए। सनी की फिल्म ‘मोहल्ला अस्सी’ में गालियों का कथित उपयोग किए जाने के कारण सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को प्रमाणपत्र देने से मना कर दिया था। पिछले साल जून में, कथित रूप से धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए अदालत ने ‘मोहल्ला अस्सी’ पर रोक लगा दी थी। यह फिल्म काशीनाथ सिंह के लोकप्रिय हिंदी उपन्यास ‘काशी का अस्सी’ पर आधारित है जो वाराणसी के व्यावसायीकरण और विदेशी पर्यटकों को लुभाने वाले फर्जी गुरुओं पर एक व्यंग है। सनी ने कहा, ‘यह फिल्म अभी तक रिलीज हो जानी चाहिए थी। यह निश्चित रूप से एक दिन रिलीज होगी। इस फिल्म के निर्माता इसके लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। इस फिल्म में ऐसी कोई चीज नहीं है जिसकी काट-छांट करने की जरूरत है। हमें एक फिल्म की रिलीज रोकने का प्रयास नहीं करना चाहिए’।
पिछले कई दिनों से विवादों के बीच ‘उड़ता पंजाब’ जब शुक्रवार को सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई तो इसे खूब दर्शक मिले। रिलीज के पहले इसके इंटरनेट पर लीक हो जाने के बावजदू सिनेमाघरों में फिल्म को अखिल भारतीय स्तर पर लगभग 35 फीसद ओपनिंग मिली। फिल्म बाजार से जुड़े जानकारों का मानना है कि यह आंकड़ा उत्साहवर्द्धक है। खासकर पंजाब में कई सिनेमाघरों में इस फिल्म को देखने के लिए दर्शकों की भीड़ दिखाई दी। पटियाला में हिंदू संगठनों का विरोध प्रदर्शन भी दर्शकों को ‘उड़ता पंजाब’ देखने से रोक नहीं सका। अमृतसर में ज्यादातर थिएटर हाउसफुल रहे। चंडीगढ़ में सुबह के शो में भी फिल्म को दर्शक मिले और वहां से किसी तरह के विरोध-प्रदर्शन की खबर नहीं मिली है।
लुधियाना स्थित एमबीडी सिनेपॉलिस के मैनेजर गोपाल सिंह और वेव्स सिनेमा के मैनेजर हेमंत साहनी ने बताया, ‘हम अभिभावकों के बिना आने वाले नाबालिग बच्चों को टिकट नहीं दे रहे। कुछ बच्चे अपने माता-पिता के साथ फिल्म देखने पहुंचे। अभिभावकों का कहना है कि वे चाहते हैं कि बच्चे यह फिल्म जरूर देखें तो हमें कोई परेशानी नहीं’।
वहीं दिल्ली-एनसीआर के कई दर्शक इंटरनेट पर लीक हुई फिल्म देखने के बावजूद शुक्रवार को सिनेमाघर पहुंचे। यहां ज्यादातर स्क्रीनों पर करीब 70 फीसद सीटें भरी थीं। नोएडा सेक्टर-18 स्थित जीआइपी मॉल में फिल्म देखने पहुंचे वर्धन का कहना था कि उन्होंने गुरुवार रात ही ‘उड़ता पंजाब’ इंटरनेट पर देख ली थी, लेकिन बड़े पर्दे पर इसे देखने का मजा ही कुछ और है। उनका कहना था कि ‘उड़ता पंजाब’ में शाहिद कपूर और करीना कपूर के साथ अनुराग कश्यप की फिल्म होने के कारण मैंने इसे बड़े परदे पर देखने का पूरा मन बनाया था। इस फिल्म की कहानी पंजाब में ड्रग्स के व्यवसाय के इर्द-गिर्द है। लेकिन कुछ दर्शकों के लिए इस फिल्म का एक आकर्षण शाहिद और करीना का फिल्म में एक साथ होना भी है। कुछ दर्शकों ने कहा कि उन्हें पता है कि दोनों साथ नहीं आए हैं पर हमारी आंखें दोनों को साथ खोज रही थीं। करीना कपूर और शाहिद कपूर एक समय में रुपहले परदे की लोकप्रिय जोड़ी थे, फिर बाद में दोनों में अलगाव हो गया था। कुछ दर्शक इस बात से मायूस दिखे कि दोनों कलाकारों को एक बार भी साथ नहीं दिखाया गया है।
जहां फिल्म समीक्षक आलिया को पूरे नंबर दे रहे हैं वहीं हिंदी पट्टी के दर्शकों का कहना था कि बिहारी जुबान को लेकर आलिया ने निराश किया है। एक दर्शक ने तो अनुराग कश्यप को सलाह दे डाली कि इस रोल के लिए ऋचा चड्ढा ज्यादा फिट थीं। हां, दिलजीत सिंह के पुलिस इंस्पेक्टर की भूमिका की सबने तारीफ की। एक दर्शक ने कहा कि ‘बाम्बे वेलवेट’ की तरह यह फिल्म भी बहुत अच्छा नहीं कर पाएगी। कुछ दर्शकों ने फिल्म के आधे-अधूरे अंत को लेकर मायूसी जताई। कहा कि फिल्म शुरुआत में जितनी यथार्थवादी लगती है अंत में उतनी ही नाटकीय हो जाती है।
पंजाब के रहने वाले जसजोत सिंह और करना शर्मा का कहना था कि पंजाब की ड्रग समस्या को लेकर बनी फिल्म वास्तव में वहां की जमीनी हकीकत बयां करती है। फिल्म के बनने के बाद पंजाब में ड्रग की समस्या पर गंभीर बहस होनी चाहिए। अनुराग कश्यप ने बहुत अच्छे ढंग से समस्या को उठाया है। शाहिद कपूर की भूमिका बहुत प्रभावी लगी। वो बिल्कुल नशेड़ी की तरह लगते हैं और कहीं-कहीं तो सोच कर रोएं खड़े हो जाते हैं कि नशे ने हरे-भरे पंजाब को किस हाल में ला दिया है। सीमा-पार से चक्का फेंक कर नशे का व्यापार दिखा फिल्मकार ने बड़ी सच्चाई दिखाई है। फिल्म पंजाब राज्य की सबसे बड़ी समस्या पर बनी है और कल से इस फिल्म को सबसे अधिक देखने वालों में पंजाबी लोग होंगे।
वहीं बिहार के रहने वाले अवनीश ने कहा कि अनुराग कश्यप भी अपने ‘मैकनिज्म’ में बंधे दिखते हैं। नेता का हस्तक्षेप, पुलिसिया रवैया और गाली-गलौच तो उनका ट्रेडमार्क बन चुका है। कश्यप अपनी ही फिल्मों से आगे नहीं बढ़ पाए हैं।