असम में बीजेपी सरकार की बड़ी चूक सामने आई है। बताया जा रहा है कि विधानसभा सत्र के दौरान राज्य में अवैध रूप से रहने वाले विदेशी नागरिकों का डेटा मांगा गया। उस दौरान मंत्री ने 2 अलग-अलग आंकड़े पेश कर दिए। प्रश्नकाल के बाद बीजेपी विधायक नुमाल मोमिन ने इस मुद्दे पर चर्चा की। साथ ही, विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि वे लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
पहले यह बताया आंकड़ा : एक सवाल का जवाब देते हुए असम के संसदीय कार्य मंत्री चंद्र मोहन पटवारी ने बताया, ‘‘1985 से अगस्त 2018 तक कुल 1,03,764 लोगों को अवैध विदेशी घोषित किया गया।’’ यह प्रश्न सत्ताधारी पार्टी के विधायक बिनंदा कुमार सैकिया ने पूछा था और प्रश्न काल के दौरान इसका जवाब दिया गया।
दूसरे सवाल के जवाब में हुई गड़बड़ी : विधायक नुमाल मोमिन ने एक अलग सवाल पूछा, जिसके जवाब में पटवारी ने कहा, ‘‘1985 से अगस्त 2018 तक 94,425 लोगों को अवैध विदेशी घोषित किया गया।’’ दोनों मामलों में पटवारी मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल की तरफ से जवाब दे रहे थे, क्योंकि गृह एवं असम समझौता क्रियान्वयन विभाग का प्रभार सोनोवाल के पास ही है।
स्पीकर ने कही जांच कराने की बात : सरकार की इस चूक पर स्पीकर हितेंद्र नाथ गोस्वामी ने सदन को आश्वस्त किया कि वह मामले की जांच कराएंगे। वहीं, मोमिन के सवाल पर पटवारी ने कहा कि अब तक सिर्फ 29,829 अवैध विदेशियों को वापस भेजा गया या उनके मूल देश वापस भेज दिया गया। उन्होंने कहा कि इन अवैध विदेशियों का पता विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा लगाया जाता है। वह ही इसकी जानकारी देता है। पटवारी ने बताया कि राज्य में बीजेपी की सरकार बनने के बाद इन न्यायाधिकरणों की संख्या 36 से बढ़कर 100 हो गई है।
संदेहास्पद वोटरों का भी डेटा जारी : ‘डी’ (संदेहास्पद) वोटरों के बारे में पटवारी ने कहा कि 1997 की मतदाता सूची में इनकी संख्या 2,02,092 थी। वहीं, 15 सितंबर 2018 को प्रकाशित मतदाता सूची के मसौदे में ‘डी’ वोटरों की संख्या 1,19,559 है। मंत्री ने बताया कि राज्य में अवैध विदेशियों का पता लगाने के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं।