एक गैर सरकारी संगठन द्वारा किए गए अध्ययन में पता चला है कि हैदराबाद शहर में 28,560 वंचित बच्चे हैं और इस मामले में लड़कों की संख्या लड़कियों से अधिक है। एनजीओ ‘सेव द चिल्ड्रन’ ने इस संबंध में सितंबर 2015 से इस साल जनवरी तक सर्वेक्षण किया, जिसमें वृहतर हैदराबाद नगर निगम के सभी 150 वार्डों को शामिल किया गया। अध्ययन में पता चला कि वंचित बच्चों की आबादी में 61 फीसद लड़के हैं और 29 फीसद लड़कियां हैं। वंचित बच्चों को तीन समूहों में वर्गीकृत किया गया।
पहले समूह में वे बच्चे शामिल किए गए जो किसी परिवार या किसी सगे संबंधी के बिना सड़कों पर अकेले रहते हैं । दूसरे समूह में वे बच्चे शामिल किए गए जो सड़कों या सार्वजनिक स्थलों पर काम करते हैं, लेकिन अपने परिवारों के पास लौट जाते हैं। तीसरे समूह में वे बच्चे शामिल किए गए जो बेघर हैं, लेकिन परिवारों के साथ सड़कों पर रहते हैं।
एनजीओ द्वारा मंगलवार जारी अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार वंचित बच्चों में 70 फीसद बच्चे उस श्रेणी में आते हैं जिसमें वे सड़कों पर काम करते हैं, लेकिन काम के बाद अपने परिवारों के पास लौट जाते हैं। वंचित बच्चों में से करीब 15 फीसद बच्चे फुटपाथों पर रहने वाले बेघर परिवारों से हैं। तीन फीसद बच्चे किसी परिवार या सगे संबंधी के बिना सड़कों पर रहते हैं। अन्य श्रेणी में 11 फीसद बच्चे हैं जो अधिकांश समय सड़कों पर (अपने माता पिता के साथ उनके कार्यस्थल पर खेलते हुए) बिताते हैं । वे न तो बेघर हैं और न ही काम करते हैं, इसलिए वे ‘अन्य’ की श्रेणी में रखे गए हैं।
