गौमांस और सुअर के मांस खाने को लेकर दिए गए डीएम के बयान पर विवाद शुरू हो गया है। उन्होंने गौमांस छोड़ने की वजह ब्राह्मणवादी ताकतों को ठहराते हुए कहा कि इससे हमारी शरीर की प्रतिरोधी क्षमता कम हो रही है और लोगों की बीमारियां हो रही है। क्लेक्टर के इस बयान का बीजेपी कार्यकर्ताओं ने विरोध किया। तेलंगाना में तैनात एक जिला मजिस्ट्रेट गौमांस और सुअर के मांस से जुड़े अपने एक बयान को लेकर विवादों में है और उनका बयान सोशल मीडिया पर वायरल भी हो गया। उन्होंने अपने बयान में धार्मिक कारणों से गौमांस और सुअर का मांस खाना छोड़ने की आलोचना की थी। हालांकि बाद में उन्होंने माफी मांग ली।

जयशंकर बुपालपल्ली जिले के कलेक्टर ए मुरली ने विश्व तपेदिक दिवस (वर्ल्ड टीबी डे) के अवसर पर येतुरू नगरम में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि ‘ब्राह्मणवादी’ संस्कृति ने अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों की खाने की आदत को प्रभावित किया है, जिससे उनमें प्रोटीन की कमी पैदा हो गई है। उन्होंने कहा, ‘‘पहले हम सुअर का मांस, गौमांस खाया करते थे। अब ब्राह्मणवादी ताकतों की वजह से हम माला जप रहे हैं और हमने गौमांस और सुअर का मांस खाना छोड़ दिया है। इससे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित हो रही है और इसके चलते हम तपेदिक जैसी बीमारियों की चपेट में आ जा रहे हैं।’’

कलेक्टर की विवादित टिप्पणी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। वीडियो के वायरल होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन करते हुए कलेक्टर के निलंबन की मांग की है। यहीं नहीं आक्रोशित पार्टी कार्यकर्ताओं ने सड़क भी जाम कर दी। हालांकि बाद में कलेक्टर ने बाद में ‘ब्राह्मणवादी’ शब्द के इस्तेमाल के लिए माफी मांग ली।

सांख्यिकी और कार्यक्रम का कार्यान्वयन मंत्रालय के अधीन आने वाला राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) के मुताबिक करीब 80 मिलियन भारतीय बीफ का सेवन करते हैं, जिसमें भैस का मीट भी शामिल है। इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट के मुताबिक NSSO द्वारा 2015 में जारी किए गए आकड़ों के मुताबिक 2010 से 2012 के बीच शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में बीफ की खपत बढ़ी है।