भागलपुर के लहेरीटोला की रहने वाली तारा संतु देवी का 113 साल की उम्र में बुधवार को निधन हुआ। हौसले की बात यह है सेंचुरी पार यह महिला इस उम्र में भी किसी पर निर्भर नहीं थी। और अपने काम के अलावे घर के दूसरे काम निपटाने में भी हाथ बटाती थी। वह अपने परिजनों को कभी भी अपनी इतनी उम्र का अहसास नहीं होने दिया। उनके बगलगीर साहित्यकार पारस कुंज बताते है कि तारा देवी को अक्सर कुछ न कुछ करते देखते थे। इनकी दुकान स्टेशन चौक पर है। दुकान जाने आने के रास्ते में तारा देवी का घर पड़ता था। पेशे से तारा देवी के बेटे व परिवार वाले कपड़ा धोने का काम करते है। आर्थिक हालत कमजोर होने के बाबजूद इन्होंने जीवन संघर्षपूर्ण मगर हौसले के साथ जिया।

उनके इकलौते बेटे राधे संतु रजक ने बताया कि तारा देवी का निधन बुधवार को दोपहर हुआ। उनकी अंतिम यात्रा गुरुवार को निकलेगी। वे अपने पीछे चार बेटियां और सात पौत्र पौत्री समेत भरा पूरा परिवार छोड़ गई है। यह भी सच है कि आज के मिलावटी खान पान के दौर में 113 साल की उम्र तक जीवित रहने का सौभाग्य बिरले को ही मिलता है। उन्हीं में से तारा देवी एक थी।