मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु की मस्जिदों में चलने वाली शरिया कोर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया है। एक व्यक्ति की अर्जी पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया गया। याचिकाकर्ता का कहना है कि चेन्नई की एक शरिया अदालत ने जबरदस्ती उसके तलाक का एलान कर दिया। याचिका दायर करने वाले 29 वर्षीय अब्दुल रहमान सेल्स इंजीनियर हैं और गल्फ में काम करते हैं। उनका कहना है कि एक शरिया अदालत ने उन पर पत्नी को तलाक देने का दबाव डाला। याचिका में कहा गया कि मक्का मस्जिद शरियत काउंसिल के अंदर चलने वाली शरिया कोर्ट शादी के विवाद सुनती है और सामान्य अदालतों की तरह पार्टियों को बुलाती व तलाक के आदेश जारी करती है। इसमें मांग की गई कि भोलेभाले मुसलमानों के हितों की रक्षा के लिए कोर्ट दखल दे।
चीफ जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम सुंदर ने याचिका पर सुनवार्इ के दौरान आदेश दिया कि राज्य में इस तरह की सभी अनाधिकारिक अदालतें बैन की जाती हैं। कोर्ट ने पुलिस से चार सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। शरिया कोर्ट को बैन करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि धार्मिक स्थान और पूजा की अन्य जगहें केवल धार्मिक उद्देश्यों के लिए है। कोर्ट ने सरकार से यह तय करने को कहा कि इस तरह की अनाधिकारिक अदालतों का संचालन ना हो।
रहमान की याचिका के बाद चेन्नई सिटी पुलिस की ओर से दायर रिपोर्ट में इस तरह की अदालतों के अस्तित्व से इनकार किया गया है। पुलिस रिपोर्ट में हालांकि कहा गया कि माउंट रोड स्थित मक्का मस्जिद शरियत काउंसिल में कुछ मामलों की सुनवाई होती है। रहमान के वकील सिराजुद्दीन ने कहा, ”उन्होंने(रहमान) परिवार में कुछ दिक्कत होने के बाद शरिया कोर्ट से संपर्क किया। वह अपनी पत्नी से फिर से जुड़ना चाहते थे। लेकिन उन्हें तलाक की सहमति के पेपर पर साइन करने पड़े और इस लेटर के जरिए उन्होंने तलाक का एलान कर दिया। जब पुलिस ने शिकायत पर कार्रवार्इ नहीं की तो हाईकोर्ट में याचिका दायर की।