अगर आपकी कार का ड्राइवर शराब पीकर गाड़ी चलाए और एक्सीडेंट कर दे तो इस स्थिति में आप भी बराबर दोषी हैं। इस मामले में आप पर इंडियन पीनियल कोर्ट के सेक्शन 109 के तहत आप पर केस दर्ज हो सकता है। सेक्शन 109 में अपराध को उकसाने के मामले दर्ज किए जाते हैं। चेन्नई ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि यात्री उस स्थिति में भी क्राइम को उकसा सकता है जब वह प्रत्यक्ष तौर पर इसे नहीं कर रहा होता है। इस पूरे मामले पर सड़क दुर्घटना मामलों  के विशेषज्ञ वकीलों का मानना है कि यह सही नहीं है कि यदि ड्राइवर ने शराब पी रखी है तो यात्री को भी इसकी सजा दी जाए क्योंकि यात्री की प्रत्यक्ष तौर पर कोई गलती नहीं है। इस सारी बहस की शुरुआत राष्ट्रीय रेंसिंग चैंपियन विकास आंनद के केस से हुई। विकास आंनद के दोस्त टी. चरणकुमार दोनों पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है। इस सड़क दुर्घटना के दौरान विकास आनंद कार ड्राइव कर रहे थे और चरणकुमार नॉन ड्राइविंग सीट पर थे।

आरोप है कि गाड़ी चला रहे विकास आनंद ने शराब पी रखी थी। मद्रास हाईकोर्ट में इस केस के वकील वी. कन्नदासन ने तर्क दिया कि चरणकुमार गाड़ी नहीं चला रहे थे पर इसके बावजूद उन्हें यह पता था कि उनके दोस्त विकास आनंद ने शराब पी रखी है और ऐसी स्थिति में एक्सीडेंट होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके बावजूद उन्होंने अपनी कार विकास को चलाने की इजाजत दी। इसलिए इस मामले में दोनों सजा के हकदार हैं। चरणकुमार ने ट्रैफिक पुलिस को दी गई अपनी जमानत याचिका में कहा कि वह निर्दोष हैं क्योंकि वह गाड़ी नहीं चला रहे थे। कार उनके दोस्त विकास आनंद चला रहे थे वह बस उनके सह यात्री थे। ऐसा ही एक मामला फरवरी में सामने आया था जिसमें ड्राइवर और पेसेंजर मो. शफीक और मो. फारूख  दोनों पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया था। इस मामले पर पुलिस अधिकारियों का कहना था कि सह यात्री को अच्छी तरह पता था कि उसके दोस्त ने शराब पी रखी है इसके बावजूद उसने अपने दोस्त को गाड़ी चलाने दी। इसलिए यात्री भी इस मामले में बराबर दोषी है।