Swami Chinmayanand Rape Case: पूर्व केन्द्रीय गृहराज्य मंत्री और बीजेपी नेता स्वामी चिन्मयानंद की यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तारी के बाद भी मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही। बताया जा रहा है कि अब संत समाज ने उनसे दूरी बनाने का फैसला लिया है। ऐसे में 10 अक्टूबर को हरिद्वार में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की प्रस्तावित बैठक में इस मुद्दे पर कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है। इस बैठक में सभी तेरह अखाड़ों के साधु संतों की मौजूदगी होगी। गौरतलब है कि चिन्मयानंद को जब महिला द्वारा उनका मसाज करने का वीडियो दिखाया गया तो उन्होंने एसआईटी से कहा, “जब आपको सब पता है तो मुझे कुछ नहीं कहना। मैं अपना जुर्म स्वीकारता हूं और मुझे अपने किये पर शर्मिंदगी है।”
अखाड़ा परिषद का बयान: चिन्मयानंद मामले में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने भी एक बयान दिया है। जिसमें उन्होंने कहा कि वह संत परंपरा से आते हैं और महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर भी हैं। ऐसे में उनपर लगे आरोप से संत समाज को भी बदनामी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जैसा कि चिन्मयानंद ने अपनी गलती मान ली है इसलिए कानून उन्हें अपने किए की सजा देगा। इस दौरान महंत ने चिन्मयानंद के कृत्य को बेहद शर्मनाक और निंदनीय बताया।
संत समाज से बाहर: एनबीटी में छपी खबर के मुताबिक, महंत नरेन्द्र गिरी ने सख्त तेवर दिखाते हुए कहा कि जब तक इस मामले में कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता और वह निर्दोष साबित नहीं हो जाते, तब तक वह संत समाज से बहिष्कृत रहेंगे।
जेल में हैं चिन्मयानंद: जिला कारागार अधीक्षक राकेश कुमार ने बताया कि चिन्मयानंद को कोई विशिष्ट सुविधा नहीं दी गयी है। उन्होंने आम कैदी की तरह पहली रात बैरक में गुजारी। कुमार ने बताया कि चिन्मयानंद ने दोपहर और रात का भोजन किया और रात लगभग साढ़े दस बजे सोने चले गये। वह सुबह साढ़े तीन बजे उठे। उन्होंने बताया कि चिन्मयानंद ने घंटे भर ध्यान किया और सुबह अपनी बैरक में चहलकदमी की।