गंगा में खनन के खिलाफ काम करने वाले संतों की संस्था मातृसदन और हरिद्वार के जिला प्रशासन के बीच आरपार की लड़ाई चल रही है। खनन के खिलाफ मातृसदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती 16 दिसंबर से बेमियादी अनशन पर बैठे हुए हैं। इससे पहले मातृसदन के एक अन्य संत आत्मबोधानंद ब्रह्मचारी 30 अक्तूबर से अनशन पर बैठे थे, जिन्हें हरिद्वार जिला प्रशासन के आदेश पर पुलिस ने अनशनस्थल मातृसदन जगजीतपुर, कनखल से 7 दिसंबर को उठाकर देहरादून के राजकीय अस्पताल में भर्ती किया। जहां से उन्हें बाद में ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती किया गया। इसके बाद 16 दिसंबर से मातृसदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती बेमियादी अनशन पर बैठ गए। उनका अनशन जिला प्रशासन और खनन माफियाओं के खिलाफ जारी है।

बीते 25 दिसंबर को मातृसदन और जिला प्रशासन के बीच तब सीधा टकराव सामने आया था। दरअसल, महामना मदन मोहन मालवीय जयंती के एक कार्यक्रम में हरिद्वार के जिलाधिकारी दीपक रावत को सम्मानित किया जा रहा था, जहां पहुंचकर मातृसदन के साधु-ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने जिलाधिकारी को सम्मानित किए जाने का विरोध किया। उन्होंने मंच पर चढ़कर जिलाधिकारी के खिलाफ पर्चे बांटे। इसके बाद आत्मबोधानंद को पुलिस ने कार्यक्रम में बाधा डालने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। आत्मबोधानंद का आरोप है कि उन्हें ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज के सभागार के एक कमरे बंद करके जिलाधिकारी दीपक रावत और उनके गनर ने तब तक पीटा, जब तक वे बेहोश नहीं हो गए।
मातृसदन के संत दयानंद ब्रह्मचारी के मुताबिक, हरिद्वार के जिलाधिकारी दीपक रावत के खिलाफ ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद को मारने-पीटने के आरोप में हरिद्वार जिला अदालत में मुख्य न्यायिक दंडा अधिकारी की अदालत में एक दर्जन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। इस मामले में 27 जनवरी को अगली सुनवाई होगी। वहीं, 6 जनवरी को मातृसदन के स्वामी दयानंद ने जिलाधिकारी पर आश्रम की धार्मिक गतिविधियों पर बाधा डालने का मुकदमा जिला न्यायालय में दर्ज कराया गया है। मातृसदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती ने आरोप लगाया कि हरिद्वार के जिलाधिकारी द्वेषवश मातृसदन के संतों पर फर्जी मुकदमे दर्ज करवा रहे हैं और राजस्व विभाग का दल भेजकर मातृसदन की जमीन की नपाई भी करवाई गई।

वहीं हरिद्वार के जिला प्रशासन ने मातृसदन के संतों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है। मालवीय सेवा संस्थान की ओर से मातृसदन के संत आत्मबोधानंद और दयानंद ब्रह्मचारी के खिलाफ कार्यक्रम में रुकावट डालने और धमकी देने का मुकदमा दर्ज कराया गया है। मातृसदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती पर सिंचाई विभाग की जमीन पर लगे हरे पेड़ काटने और ब्रहमचारी दयानंद पर आश्रम स्थित पेड़ काटने का मुकदमा वन विभाग की तरफ से दर्ज कराया गया है। वहीं अपर जिलाधिकारी भगवत किशोर मिश्रा ने मातृसदन में धारा-144 लगाने का आदेश जारी किया। जिसके खिलाफ मातृसदन ने जिला जज की अदालत से स्टे ले लिया।
मातृसदन का आरोप है कि जिलाधिकारी दीपक रावत जानबूझकर आश्रम की धार्मिक गतिविधियों में रुकावट डाल रहे हैं। और अपर जिलाधिकारी को धारा-144 लगाने का अधिकार नहीं है।
मातृसदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती का कहना है कि उनके आश्रम की भूमि की कई बार विभिन्न अधिकारी नपाई कर चुके हैं और उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ है। खनन माफियाओं से सांठ-गांठकर हरिद्वार के जिलाधिकारी दीपक रावत हमारी संस्था को बदनाम करना चाहते हैं। जबकि मातृसदन ने ही कुछ साल पहले वन विभाग के भूमि घोटाले का पर्दाफाश कर कई वन विभाग की कई बीघा जमीन भू-माफियाओं से मुक्त कराई थी। हरिद्वार के जिलाधिकारी दीपक रावत का कहना है कि मातृसदन के बारे में जिन लोगों ने शिकायत की है, उसकी जांच प्रशासन करवा रहा है। जो तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। बदले की भावना से जिला प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।