सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को हिमाचल प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि कसौली में अवैध निर्माणों के दौरान वहां तैनात सरकारी अधिकारियों के नाम और उनके पदों का विवरण मुहैया कराए। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को उन उपायों की भी जानकारी देने का निर्देश दिया है जिनसे यह तय किया जा सके कि भविष्य में पूरे राज्य में कहीं भी अवैध निर्माण नहीं हो सके और इस समस्या से वह कैसे निबटना चाहती है। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता के पीठ ने राज्य सरकार से पूछा है कि पिछले दिनों कसौली में अनेक होटलों में अवैध निर्माण गिराए जाने से एकत्र मलबा किस तरह हटाया जाएगा। अदालत ने हिमाचल प्रदेश के महाधिवक्ता से कहा कि जब आप कार्रवाई नहीं करेंगे और चार पांच लोगों को नौकरी से नहीं हटाएंगे, कुछ भी ठीक नहीं होगा। अदालत ने राज्य को उसके सवालों पर स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देने के साथ मामले की सुनवाई अगस्त के पहले हफ्ते के लिए स्थगित कर दी।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले कसौली में अवैध निर्माण गिराए जाने की कार्रवाई के दौरान एक महिला अधिकारी शैलबाला शर्मा की गोली मारकर हत्या किए जाने की घटना को बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा था कि यह कानून लागू नहीं करने का नतीजा है। पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद सोलन जिले के 13 होटलों के अवैध ढांचे ढहाने के अभियान के वक्त होटल मालिक विजय ठाकुर ने महिला सरकारी अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना में लोक निर्माण विभाग का एक कर्मचारी घायल हो गया था।
अभियुक्त नारायणी गेस्ट हाउस का मालिक था। सौ से ज्यादा पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में ठाकुर ने अभियान दल पर गोली चला दी जिसमें सहायक ग्राम और नगर नियोजन अधिकारी शैलबाला की मौके पर ही मौत हो गई थी। इस कांड के दो दिन बाद उसे मथुरा से गिरफ्तार किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने 17 अप्रैल को राज्य सरकार को सोलन के कसौली और धर्मपुर के 13 होटलों के अवैध ढांचों को गिराने का निर्देश दिया था।
