नरेंद्र मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से करारा झटका लगा है। मंगलवार को कोर्ट ने सरकार पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगा दिया। पोलावरम मामले को लेकर कोर्ट ने यह कार्रवाई की है, जिसमें उसे सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को दो हफ्तों में जवाब देने को कहा है। यही नहीं, मामले की सुनवाई में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकार को बतौर पक्ष शामिल किया गया है। पोलावरम बांध के लिए हुए अंतर्राज्यीय समझौते में अविभाजित मध्य प्रदेश (छत्तीसगढ़), अविभाजित आंध्र प्रदेश (तेलंगाना सीमांध्र) और ओडिशा सरीखे राज्य शामिल हैं। बांध के प्रोजेक्ट में इन राज्यों में बिजली पैदा करने व सिंचाई का काम होना था। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट के तहत दोरला नाम का आदिवासी समुदाय बुरी तरह प्रभावित होगा।
आशंका है कि इस बांध के कारण सुकमा जिले के कोंटा सहित 18 गांव डूब जाएंगे। जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग के 30 प्रतिशत हिस्से के डूबने की बात सामने आ रही है। पोलावरम बांध के निर्माण का काम सालों से चल रहा है, जिसकी ऊंचाई कम करने के लिए कई बार सरकार से मांग की जा चुकी है।
Polavaram case: Supreme Court imposes a fine of Rs 25,000 on central government after not getting their reply in the case.
— ANI (@ANI) November 7, 2017
आपको बता दें कि सात अगस्त 1978 को पोलावरम अंतर्राज्यीय प्रोजेक्ट के लिए किए गए समझौते पर अविभाजित मध्य प्रदेश की जनता पार्टी की सरकार ने हस्ताक्षर किए थे। राज्य के उस वक्त मुख्यमंत्री वीरेंद्र कुमार सकलेचा थे, जिसके बाद दो अप्रैल 1980 को इस समझौते में संशोधन किया गया था।