केंद्र की ओर से पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते की समीक्षा करने का संकेत दिए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार 1960 की इस संधि पर जो भी फैसला करेगी, राज्य उसका पूरा समर्थन करेगा।यहां भाजपा की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में शामिल होने आए सिंह ने कहा कि इस संधि ने जम्मू-कश्मीर को भारी नुकसान पहुंचाया है क्योंकि राज्य के लोग विभिन्न नदियों खासकर जम्मू में चेनाब के पानी का कृषि व अन्य गतिविधियों के लिए पूरा उपयोग नहीं कर पाते हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग सिंधु जल संधि से राज्य को हो रहे नुकसान का मुद्दा पहले से ही उठा रहे हैं। अगर केंद्र इस संबंध में कोई फैसला करता है तो राज्य सरकार निश्चित ही उसका पूरा समर्थन करेगी। हम हर उस कदम का समर्थन करेंगे जो राज्य के लोगों को लाभ पहुंचाएगा व पाकिस्तान को दबाव में लाएगा।

भारत ने इस हफ्ते की शुरुआत में साफ किया था कि ऐसी संधि के लिए परस्पर विश्वास व सहयोग अहम हैं। सरकार का यह कथन इन मांगों के बीच आया कि सरकार को उड़ी हमले के बाद पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए यह जल वितरण संधि तोड़ देनी चाहिए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा था कि यह एकतरफा मामला नहीं हो सकता। उनसे पूछा गया था कि क्या सरकार भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए सिंधु जल समझौते पर पुनर्विचार करेगी।

सिंह ने पाकिस्तान पर भारत के साथ अपने समझौते खासकर 1972 के शिमला समझौते का सम्मान नहीं करने को लेकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि शिमला समझौता है जिसका पाकिस्तान सम्मान नहीं करता। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ के बीच लाहौर घोषणापत्र है जिसमें इस बात पर सहमति बनी थी कि पाकिस्तान अपने नियंत्रण वाली जमीन का उपायोग भारत के खिलाफ आतंकवाद को प्रश्रय व बढ़ावा देने के लिए नहीं करेगा। लेकिन वे इसका सम्मान नहीं करते और आतंकवाद को प्रश्रय देकर इस घोषणा का उल्लंघन करते हैं।

उन्होंने कहा- वे ऐसे समझौतों व घोषणाओं का उल्लंघन कर सकते हैं तो हमें ऐसी संधियों का पालन क्यों करना चाहिए। वे चाहते हैं कि भारत अंतरराष्ट्रीय संधि होने के आधार पर इस संधि का सम्मान करे। सिंह ने कहा- पाकिस्तान नहीं समझता कि जिस आतंकवाद को वह प्रश्रय देता है, वह आखिरकार उस पर असर डालेगा। पाकिस्तान खुद को एकजुट नहीं रख पाएगा। हम पीओके के आतंकवादी संगठनों को बेनकाब करेंगे। कश्मीर में अशांति के बारे में उन्होंने कहा कि राज्य में सामान्य स्थिति लौट रही है। केंद्र व राज्य सरकारें शांति बहाली के लिए सभी कदम उठा रही हैं। हालात काबू में हैं। पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में अशांति पैदा करने के लिए प्रत्यक्ष रूप से आतंकवादियों व अपने लोगों को वहां भेज रहा है।