सरकारी धन को गलत तरीके से भागलपुर की सृजन महिला विकास सहयोग समिति के खाते में ट्रांसफर करने के मामले में भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक आफ बड़ौदा पर ढाई करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। आरबीआई की यह इस मामले में बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है। मालूम रहे कि सैकड़ों करोड़ रुपए के सृजन घोटाले की जांच सीबीआई अगस्त 2017 से कर रही है। इसी समय यह घपला उजागर हुआ था। इस सिलसिले में पहले पुलिस ने भागलपुर में और फिर दिल्ली व पटना में सीबीआई ने दो दर्जन एफआईआर दर्ज की है। जिसमें सरकारी दफ्तरों के नाजिर, डिप्टी कलेक्टर रैंक के अधिकारी, सृजन महिला स्वयमसेवी संस्था की संचालिका, सचिव व दूसरे अधिकारी आरोपी है। इसके अलावे इंडियन बैंक, बैंक आफ इंडिया और बैंक आफ बड़ौदा के क्लर्क से लेकर मुख्य प्रबंधक तक पर कथित आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी समेत अन्य गड़बड़ी वाली दफाओं के तहत एफआईआर दर्ज कर सीबीआई ने घेरे में लिया है।

बैंक आफ बड़ौदा ने शेयर बाजार को ढाई करोड़ रुपए के जुर्माना के बाबत सूचना दी है। जिसमें रिजर्व बैंक ने साफ लिखा है कि यह जुर्माना भागलपुर बैंक आफ बड़ौदा की शाखा में सृजन महिला विकास सहयोग समिति के विभिन्न खातों के संदर्भ में जारी दिशानिर्देशों का अनुपालन नहीं करने की वजह से लगाया है। जुर्माना लगाने में रिजर्व बैंक ने  बैंकिंग नियमन कानून 1949 के तहत प्रदत शक्तियों का प्रयोग किया है।

बताते है कि जांच एजंसियों ने पाया है कि बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी खातों के तहत सृजन महिला से जुड़े लोगों ने चेक बुक जारी करवा लिए। और  2003 से 2014 के बीच पदस्थापित रहे भागलपुर के जिलाधीशों के जाली दस्तखत कर सरकारी रकम के सैकड़ों करोड़ रुपए सृजन खाते में ट्रांसफर करवा लिए। और वहां से धन निकाल गायब कर लिया।

हालांकि 2008 में ज़िलाधीश ओहदे पर आए आईएएस विपिन कुमार ने सृजन के खातों में सरकारी धन के जमा कराने की बात सामने आने पर रोक लगा दी थी। मगर इनके तबादले के बाद बाबुओं ने अपना खेल फिर शुरू कर दिया था। जिनमें से कई दबोचे गए है। और जेल में बंद है। सीबीआई ने चौदह एफआईआर दर्ज कर  दो दर्जन लोगों को आरोपी अबतक बना चुकी है। इधर सीबीआई की विशेष अदालत में दायर आरोप पत्र पर सुनवाई शुरू हो चुकी है। दो दिसंबर से गवाह गुजारी जाएगी। बहरहाल यह सुनवाई सीबीआई की दर्ज एफआईआर आरसी 6/17 में होनी है।