भोपाल जेल से भागे सिमी के आठ सदस्यों के एनकाउंटर के बाद खंडवा के रहने वाले पांच कैदियों का अंतिम संस्कार मंगलवार रात को किया गया। अमजद खान, जाकिर हुसैन, मोहम्मद सलिक, शेख मोहम्मद और अकील खिलजी सोमवार तड़के अन्य तीन के साथ मिलकर भोपाल जेल से फरार हो गए थे, उसके बाद पुलिस ने उन्हें एनकाउंटर में मार गिराया। बुधवार को खंडवा के रहने वाले चार सिमी सदस्यों के वकील जावेद चौहान ने कहा कि हमें पुलिस से अभी तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली है। चौहान ने कहा, ‘हमारे पास शवों को दफनाने से पहले की वीडियो रिकोर्डिंग है, अगर पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ छेड़छाड़ की जाती है तो हम वीडियो को सबूत के तौर पर दिखा सकते हैं।’ बुधवार को दो सिमी सदस्यों के रिश्तेदारों ने दावा किया कि एनकाउंटर से पहले उन्हें आंखों पर पट्टी और हाथ-पैर बांधकर इंदौर के पास किसी अज्ञात जगह पर ले जाया गया था। वहां पर उनसे कथित रूप से झूठा बयान कबूल करने के लिए कहा गया।

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अकील खिजली के 22 वर्षीय बेटे मोहम्मद जलील ने दावा किया कि सुबह 4.30 बजे साधारण कपड़ों में कुछ लोग उसके घर आए और उसे उनके साथ चलने के लिए कहा। उसने बताया कि उसे जेल तोड़ने के बारे में नहीं बताया गया और ना ही यह बताया गया कि उसे हिरासत में क्यों लिया गया है। जलील ने दावा किया, ‘मेरी आंखों पर पट्टी बांधी हुई थी और हाथ-पैर भी बांध दिए गए थे। इसके बाद मुझे कार में डाला गया। मुझे करीब 10 घंटे हिरासत में रखा गया। रात में 10.30 मुझे मेरे पिता के एनकाउंटर में मारे जाने की सूचना दी गई और अंतिम संस्कार में जाने के लिए मुझे छोड़ दिया गया।’ जलील के मुताबिक उससे एक ही सवाल बार-बार पूछा जा रहा था, ‘एक बारी उसको यूज करना, उसको फेंक देना, और डरना मत’ इसका मतलब क्या है। उनका कहा था कि जब मैं मेरे पिता से जेल में मिलता था तो इसका यूज करता था और यह मेरा कॉडवर्ड था। हालांकि, मैंने ऐसा कभी नहीं कहा।’

वहीं एनकाउंटर में मारे गए एक अन्य सिमी सदस्य अमजद खान के साले मेहमूद फिरोज ने दावा किया कि उसे भी उठाया गया था। उस दौरान उसकी आंखों पर भी पट्टी बांधी गई थी और हांथ-पैर बांधे दिए गए थे। फिरोज ने बताया, ‘वे लोग सुबह की नमाज के बाद मुझे एक अज्ञात जगह पर लेकर गए। वे एटीएस के आदमी थी। वे लोग मुझसे कह रहे थे कि मैं अमजद से सहानुभूति रखता हूं, इसलिए तुम्हें हिरासत में लिया गया है।

फिरोज ने बताया कि उसने अमजद से जेल में करीब डेढ़ महीने पहले मुलाकात की थी। ‘वे कह रहे थे कि मैंने मुलाकात के दौरान अमजद को हथियार सप्लाई किए। मैंने इन आरोपों से इनकार किया।’ रिश्तेदारों के मुताबिक फिरोज को तब छोड़ा गया कि जब यह दबाव बनाया कि जब तक उन्हें रिहा नहीं किया जाएगा, तब अमजद के शव को दफनाया नहीं जाएगा।