मध्य प्रदेश का श्योपुर जिला इस वक्त बाढ़ की त्रासदी झेल रहा है। यहां के लोगों का कहना है कि सरकार ने राहत कार्य में लापरवाही दिखायी। पिछले दिनों कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर भी यहां पहुंचे थे। लोगों ने केंद्रीय मंत्री का भी विरोध किया था और उनकी गाड़ी पर कीचड़ फेंक दिया था। लापरवाही के आरोप के बाद सरकार ने यहां के एसपी और कलेक्टर को हटा दिया। हालांकि कांग्रेस इस मुद्दे पर शिवराज सरकार को घेरने में लगी है। मंगलवार को सदन में श्योपुर से विधायक बाबू जंडेल ने अपने कपड़े फाड़ लिए।
बाबू जंडेल ने कहा कि सरकार सदन में बाढ़ प्रभावितों और प्रशासन की लापरवाही पर चर्चा करने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में बाढ़ की वजह से लोग खाना और कपडे के लिए तरस रहे हैं।
बाबू जंडेल मीडिया कर्मियों से बात करने के लिए सदन से बाहर निकले थे। तभी विरोध जताने के लिए उन्होंने अपना कुर्ता फाड़ डाला। उन्होंने कहा कि उन्हें विधानसभा में चर्चा का मौका नहीं दिया गया। विधायक ने कहा कि उनके क्षेत्र में राहत कार्यों में लापरवाही हो रही है और लोगों के पास न तो खाने-पीने की सामग्री है और न ही पहनने को कपड़े हैं। उन लोगों का जीवन तबाह हो गया है लेकिन सरकार के कान पर जूं नहीं रेंग रही है।
उन्होंने कहा कि क्षेत्र का जनप्रतिनिधि होने की वजह से वह लोगों की समस्या सामने रखना चाहते हैं लेकिन सरकार कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है।
जनता में आक्रोश
लापरवाही के आरोप लगने के बाद श्योपुर में तबादले की झड़ी लग गई। जब केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमार का विरोध हुआ तो राज्य सरकार भी अलर्ट हो गई और अधिकारियों का तबादला करने लगी। पहले डीएम राकेश कुमार श्रीवास्तव फिर एसपी संपत उपाध्याय और अब सीएमओ मिनी अग्रवाल और एडीएम रूपेश अग्रावाल का भी ट्रांसफर हो गया है।
मध्य प्रदेश के कई शहर बाढ़ की चपेट में हैं। इनमें शिवपुरी, ग्वालियर, दतिया, भइंड और श्योपुर शामिल हैं। लोगों का कहना है कि प्रशासन ने सही जानकारी नहीं दी और इलाके को खाली नहीं करवाया। यहां शहरी क्षेत्र में बाढ़ से ज्यादा नुकसान हुआ है।