विश्वभारती विश्वविद्यालय में बीते 17 अगस्त को पौष मेला मैदान में दीवार-बंदी के विरोध के बाद कुलपति विद्युत चक्रवर्ती ने विवादास्पद बयान दिया। उन्होंने अपने बयान में कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर भी बाहरी थे। उन्होंने बोलपुर के बाहर से आकर विश्वविद्यालय की नींव रखी थी। माना जा रहा है कि उनका यह बयान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के एक बयान के जवाब में आया है जिसमे उन्होंने कहा था कि पौष मेला मैदान में दीवार बनाये जाने के दौरान कुछ बाहरी लोग मौजूद थे, उनका यह काम टैगोर के प्रकृति की गोद में शिक्षा देने के आदर्शों के अनुरूप नहीं था।

अपने एक बयान में प्रोफेसर चक्रवर्ती ने कहा था कि औपनिवेशिक दौर में बोलपुर एक छोटा सा क़स्बा था। इस कस्बे को टैगोर और और उनके सहयोगियों ने दुनिया एक अनूठे शैक्षणिक केंद्र में बदल दिया। उन्होंने आगे कहा कि बोलपुर के बाहर से आने वाले लोगों पर सच्चा टैगोरवादी न होने का लेबल लगा कर उन्हें बहिष्कृत करने का सतत प्रयास जारी है।

पौष मेला मैदान के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि इसे विश्वविद्यालय ने 60 साल पहले अधिग्रहित किया था। अतः इसे विरासत का नाम भी नहीं दिया जा सकता। विरासत का दर्जा किसी भवन या परम्परा को तब ही दिया जा सकता है जब उसे अस्तित्व में आये 100 वर्ष हो गए हों। यह मेला रवीन्द्रनाथ की मृत्यु के 20 साल बाद शुरू हुआ था। हालांकि समाचार वेबसाइट ‘द प्रिंट’ में छपे एक लेख के मुताबिक यह मेला 126 साल पहले वर्ष 1894 में शुरू हुआ था।

छात्रों और स्थानीय लोगों के एक वर्ग ने कहा था कि पौष मेला स्थल विविधता का एक विशेष केंद्र है। उन लोगों ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों पर आम जनता को मैदान में पहुंचने से रोकने के प्रयास करने का आरोप लगाया है।

इस सम्बन्ध में कुलपति ने बताया की मैदान के दो किनारों पर दीवार पहले से ही मौजूद थी। मैदान के दक्षिण और पूर्वी छोर पर दीवार बनाने का काम शेष था। उन्होंने आगे बताया कि यह कार्य यूजीसी के दिशा निर्देशों के अनुरूप था।

17 अगस्त को दीवार बनाने को लेकर हुए भारी बवाल के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामले की सीबीआई जाँच के साथ परिसर में सुरक्षा बालों की तैनाती की मांग की है। प्रशासन का आरोप है कि इस प्रकरण में सत्तापक्ष के एक विधायक भी शामिल थे। इस घटना में उपद्रवी लोगों ने मेला मैदान में नवनिर्मित दीवार को जेसीबी से गिरा दिया था और इसके साथ ही विश्वविद्यालय की संपत्ति का नुकसान भी किया था।