शबे बरात में हर साल सड़कों पर होने वाले हुड़दंग और बाइक पर स्टंटबाजी से मुसलमानों की खराब होती छवि से चिंतित समुदाय के धार्मिक नेताओं ने इसे गैर इस्लामी बताते हुए लोगों से अपील की है कि वे अपने बच्चों पर नजर रखें और उन्हें इन सबसे बाज रखें। शबे बरात को मुसलिम समाज के लोग रात भर जाग कर अपने गुनाहों की तौबा करते हैं और अल्लाह से दुआएं मांगते हैं। लेकिन समुदाय के ही कुछ नौजवान इबादत करने की जगह सड़कों पर निकल कर हुड़दंग मचाते हैं और बाइक पर स्टंटबाजी करते हैं। इससे अन्य लोगों को खासी परेशानी होती है। स्टंटबाजी के दौरान हुए हादसों में कई नौजवान अपनी जान भी गंवा देते हैं। बीते कुछ सालों में सड़कों पर हुड़दंग जरूर कम हुआ है लेकिन अब भी कई युवा ऐसे हैं जो ऐसी गतिविधियों में शामिल होते हैं।
इस बार 22 मई को शबे बरात है। जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कुछ युवकों के हुड़दंग मचाने पर चिंता जताते हुए कहा कि शबे बरात में स्टंटबाजी करना इस रात की अहमियत के खिलाफ है। यह इबादत की रात है न कि हुड़दंग और स्टंट की। यह कानूनन और शरीयत के हिसाब से भी ठीक नहीं है। मां-बाप को इस पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें अपने बच्चों को बाहर नहीं जाने देना चाहिए।
फतेहपुरी मस्जिद के इमाम मौलाना मुफ्ती मुकर्रम ने कहा कि शबे बरात को पैगंबर मोहम्मद के समय से मनाया जाता रहा है। हदीसों (मोहम्मद साहब की शिक्षा) में 15वीं शाबान (इस्लामी महीना) को इबादत के लिए फरमाया गया है। अल्लाह इस रात को दुआओं को कुबूल करता है। इस रात में अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगना व अपने गुनाहों की तौबा करनी चाहिए। इस रात को लगने वाले बाजारों पर सख्त एतराज जताते हुए मुफ्ती मुकर्रम ने कहा कि बाजारों में मेले की तरह से दुकानें लगाना भी गलत है क्योंकि यह इबादत की रात सबके लिए है। जो दुकानें लगाते हैं, उनके लिए भी है। यह आमदनी और कमाई की रात नहीं है। यह दीनी कमाई की रात है।
प्रमुख इस्लामी संगठन जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के प्रवक्ता मौलाना अब्दुल हामिद नोमानी ने कहा कि शबे बरात में कुरान पढ़ना या नफिल नमाजें अदा करनी चाहिए। लेकिन मौजूदा दौर में जिस तरह से हुड़दंग मचाया जाता है और स्टंटबाजी की जाती है, यह गैर इस्लामी है। महजब के नाम पर ऐसा करना गलत है। बेहतर है कि लोग घरों में इबादत करें। मस्जिद में इबादत करनी है तो अपने मोहल्ले की मस्जिदों में करें। हंगामा करना गलत है। ऐसा कुछ न करें जिससे समुदाय की बदनामी होती हो। अभिभावकों के लिए जरूरी है कि वे अपने बच्चों पर नजर रखें।