उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में दलित समुदाय का एक युवक जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर अपने चार बच्चों को लेकर धरने पर बैठ गया है। उसका आरोप है कि फीस नहीं जमा कर पाने की वजह से उसके बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया है। उसने स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई की मांग की है। कहा कि न्याय नहीं मिला तो वह आमरण अनशन पर बैठ जाएगा।

आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है  : युवक का नाम शिवकुमार है। उसका कहना है कि उसके चार बच्चे विराज (4), युवराज (8), ज्योति (10) और चंचल (14) शोहरतगढ़ के सरस्वती शिशु विद्या मंदिर स्कूल में पढ़ते हैं। इन दिनों उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने से वह इस बार फीस नहीं जमा कर पाया। इससे उसके बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया।

प्रधानाचार्य से मिलकर जताई असमर्थता : शिवकुमार ने बताया कि वह गरीब है। बच्चों को स्कूल से निकाले जाने के बाद वह प्रधानाचार्य से मिलकर उनको अपनी असमर्थता बताई। उनसे बाद में फीस जमा करने का वादा भी किया, लेकिन उन्होंने इसको नहीं सुना। शिवकुमार ने आरोप लगाया कि प्रधानाचार्य ने उस पर जातिसूचक टिप्पणी करते हुए उसे भगा दिया।

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पुलिस ने नहीं लिखी रिपोर्ट : शिवकुमार ने बताया कि वह मामले को लेकर पुलिस के पास भी गया था, लेकिन उन्होंने काफी कोशिश के बाद भी उसकी रिपोर्ट नहीं दर्ज की। इससे वह बहुत परेशान हो गया। उसने मामले की लिखित शिकायत डीएम से भी की है। सुनवाई नहीं होने पर उनके कार्यालय के बाहर धरने पर बैठा है।

बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा – जांच कराएंगे : हर तरफ से निराश होने और डीएम के यहां भी सुनवाई नहीं होने पर उसने बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी को भी स्कूल से बच्चों के नाम काटने की लिखित जानकारी दी है। उसने चेतावनी दी कि अगर उसके बच्चों को न्याय नहीं मिला तो वह आमरण अनशन पर बैठ जाएगा। इस बारे में बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा कि वह जिलाधिकारी से इस मामले की जांच कराकर जो भी दोषी हों, उनके खिलाफ कार्रवाई करने को कहेंगे।