उत्तर प्रदेश के संभल में अतिक्रमण के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के दौरान मिले प्राचीन मंदिर की जांच के लिए आज भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम पहुंच सकती है। खग्गू सराय में 14 दिसंबर को 46 साल से बंद शिव मंदिर मिला था। इस मंदिर की कार्बन डेटिंग कराने के लिए जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने एएसआई को पत्र लिखा था। दूसरी तरफ प्रशासन लगातार इलाके में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चला रहा है। गुरुवार को नायब तहसीलदार के नेतृत्व में राजस्व विभाग की टीम ने मंदिर के परिक्रमा स्थल और उसके आसपास के रास्तों की पैमाइश कर निशान लगाए।
कार्बन डेटिंग क्या होती है?
कार्बन डेटिंग को रेडिया कार्बन डेटिंग के नाम से भी पहचाना जाता है। माना जाता है कि कार्बन डेटिंग से किसी जीवाश्म या पुरातत्व संबंधी वस्तु की आयु की पुख्ता जानकारी मिल जाती है लेकिन असल में ऐसा नहीं होता है। इससे किसी भी वस्तु की सिर्फ अनुमानित उम्र ही पता चल पाती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, हर प्राचीन वस्तु पर समय के साथ कार्बन के तीन आइसोटोप आ जाते हैं, जो पृथ्वी की प्राकृतिक प्रक्रियाओं के कारण होते हैं। इनमें कार्बन-12, कार्बन-13 और कार्बन-14 शामिल हैं।
कार्बन-14 के जरिये ही डेटिंग विधि का इस्तेमाल किया जाता है। कार्बन डेटिंग केवल उन्हीं चीजों की हो सकती है जिस पर कार्बन की मात्रा मौजूद हो। खास तौर पर इसके लिए कार्बन-14 का होना जरूरी है। दरअसल कार्बन-12 स्थिर होता है, इसकी मात्रा घटती नहीं है। वहीं कार्बन-14 रेडियोएक्टिव होता है और इसकी मात्रा घटने लगती है। कार्बन-14 लगभग 5,730 सालों में अपनी मात्रा का आधा रह जाता है। इसे हाफ-लाइफ कहते हैं।
400 साल पुराना बताया जा रहा मंदिर
खग्गू सराय में मिला मंदिर 400 साल से ज्यादा पुराना बताया जा रहा है। इस मंदिर में शिवलिंग और हनुमान जी की मूर्ति मिली है। डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने एएसआई को कार्बन डेटिंग के लिए पत्र लिखा था। इसके बाद स्पष्ट होगा, मंदिर और कुआं कितना पुराना है। राजस्व विभाग ने इस मंदिर का निरीक्षण किया। मंदिर के गर्भगृह में हनुमान जी की प्रतिमा और शिवलिंग की नपाई की गई। मौके पर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी कराई गई।
1978 से बंद था मंदिर
यह मंदिर 1978 में संभल में हुई हिंसा के बाद से बंद था। हिंसा के बाद इलाके से कई हिंदू पलायन कर गए थे। यहां रहने वाला परिवार भी इलाके को छोड़कर चला गया था। मंदिर मिलने के बाद अब इसमें विधिवत पूजा-अर्चना शुरू हो चुकी है। इसके बाद प्रशासन को सरायतरीन के मोहल्ला कछवायन में स्थित राधा कृष्ण मंदिर का मंदिर भी मिला। इसका ताला 32 वर्ष बाद खोला गया। इस मंदिर पर भी ताला 1992 में दंगों के बाद लगा था। अब मंदिर का ताला खोलकर पूजा पाठ शुरू किया गया है। इसी मंदिर के परिसर में एक कुआं मिला है जो काफी गहरा है। आगे पढ़ें संभल के जुड़ी सभी बड़ी अपडेट