सोमवार शाम को जब निजी एसयूएम अस्पताल के प्रथम तल पर अचानक आग लगी थी तब 26 वर्षीय बैना बहेरा डायलायसिस करा रहे थे। आज वह अपने आप को जिंदा पाकर बड़ा भाग्यशाली मानते हैं और याद करते हैं कि कैसे उन्होंने डाक्टर से डायलायसिस रोकने को कहा था एवं किसी मदद का इंतजार किए बगैर शीशा तोड़कर पाइप के सहारे सुरक्षित नीचे आए थे।

लेकिन डायरलायसिस इकाई और सघन चिकित्सा इकाई में मौजूद कुछ अन्य गंभीर मरीज नहीं बच पाए। बीस मरीजों की जान चली गयी और उनमें से ज्यादातर की मौत दम घुटने से हुई।आग के कारण हताहत हुए लोगों के परिवारों ने अस्पताल प्रबंधन पर बाहर निकालने की प्रक्रिया उपयुक्त ढंग से नहीं अपनाने का आरोप लगाया। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने कहा कि उसकी तरफ से कोई चूक नहीं हुई और बचाव अभियान के दौरान बाहर निकालने की प्रक्रिया का कड़ाई से पालन किया गया।

माना जाता है कि प्रथम तल पर डायलायसिस वार्ड में बिजली में शॉट सर्किट होने से आग लगी जो समीप के आईसीयू में फैल गयी और वहां कुछ मरीज जीवन रक्षक प्रणाली पर थे।ओड़िशा मे पुरी जिले के पिपली थानाक्षेत्र के मंगलापुर गांव के बाशिंदे बहेरा ने बताया कि वह घने धुंआ और आग से बचकर निकल जाने को लेकर वाकई सौभाग्यशाली है जबकि करीब दर्जन भर अन्य व्यक्तियों ने वहां से निकाले जाने तक इंतजार किया।