चंबल की छवि को बदलने के इरादे से बीहड़ों मे बन रहे इटावा सफारी पार्क की अनदेखी भाजपा सरकार में खूब हो रही है । आश्चर्य की बात यह है कि सरकार के मंत्री सफारी देखने के बाद सराहना तो खूब करते हैं लेकिन बात उद्घाटन तक नहीं पहुंच पा रही है। स्थिति यह है कि इटावा का नाम सुनकर ही फाइल अटक जाती है।
2012 में शुरू कराया गया निर्माण
सफारी पार्क के निर्माण का कार्य वर्ष 2012 में तेजी के साथ शुरू हुआ था और कार्य लगभग पूरा हो गया है। पहले यहां लायन सफारी बनाई जानी थी लेकिन बाद में इटावा सफारी पार्क बनाकर इसमें चार सफारियां बनाई गईं हैं। प्रदेश में सरकार बदलने के बाद प्रदेश सरकार के मंत्री सुरेश पासी, प्रभारी मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, एससीएसटी आयोग के अध्यक्ष डॉ रामशंकर कठेरिया, सदर विधायक सरिता भदौरिया, भरथना विधायक सावित्री कठेरिया के साथ ही पार्टी के क्षेत्रीय अध्यक्ष मानवेंद्र सहित कई नेता सफारी देख इसकी सराहना भी कर चुके हैं। हर बार कहा जाता है कि इसका उद्घाटन जल्द कराया जाएगा लेकिन तारीख तय नहीं हो पा रही है।

20 करोड़ रूपए की दरकार
सफारी के कुछ अधूरे काम इसके उद्घाटन में बाधक बने हुए हैं। अधूरे काम पूरे भी कैसे कराए जाएं, इसके लिए 20 करोड़ रुपए की जरूरत है। इनमें से 18 करोड़ का पुराना भुगतान होना है, जबकि दो करोड़ रुपए का काम पूरा करने की जरूरत है। काम पूरा कराने के निर्देश तो दिए जा रहे हैं लेकिन इसके लिए कोई बजट नहीं दिया गया है। बिना रकम के अधूरे काम पूरे कैसे होंगे। संजय श्रीवास्तव, (निदेशक,उत्तर प्रदेश वन विभाग) ने बताया कि ईको टूरिज्म देश मे ही नहीं पूरी दुनिया में भी अपने आप मे अनूठा प्रयास है। यहां एशियाटिक लायन का प्रजनन केंद्र स्थापित हुआ है। शेरो की विलुप्त होती प्रजाति का एक दूसरा आशियाना भी स्थापित करा दिया गया है। इसकी स्थापना में देश के नही दुनिया के अन्य स्थानों के विशेषज्ञों ने भी मदद की है ।

योगी सरकार ने हमारी लाइन सफारी भी रोक दी है। समाजवादियों ने यहां शेर लाकर के छोड़ा था। हम लोग इटावा में डकैतों की कहानी सुनते रहे, जो लोग जानते हैं वे कहते हैं कि चंबल था लेकिन कम से कम इटावा में बदलाव दिखाई दे रहा है जो इटावा का परिचय वह विकास से भी हो सकता है और खुशहाली से भी।
-अखिलेश यादव ,पूर्व मुख्यमंत्री
/सपा अध्यक्ष