गंगा रक्षा के लिए पर्र्यावरण को समर्पित मातृ सदन एक बार फिर से गंगा की रक्षा के लिए आंदोलित है। 22 साल से मातृ सदन गंगा की रक्षा की लड़ाई लड़ रहा है। 1998 में मातृ सदन की स्थापना कनखल के पास जगजीतपुर क्षेत्र में गंगा के तट पर की गई थी। इसकी स्थापना स्वामी शिवानंद सरस्वती ने की थी।
मातृ सदन ने 22 साल में गंगा की रक्षा के लिए तीन साधुओं स्वामी गोकुलानंद (2003), स्वामी निगमानंद (2011) और स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद पूर्व प्रोफेसर जीडी अग्रवाल (2018 ) का बलिदान दिया है। इन सालों में मातृ सदन में गंगा रक्षा के लिए विभिन्न साधुओं ने 61 बार अब तक अनशन किया है और सबसे ज्यादा लंबा अनशन दक्षिण भारत के रहने वाले युवा संन्यासी आइटी के पूर्व छात्र रहे ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद का 194 दिनों (24 अक्टूबर 2018 से 4 मई 2019) तक चला।

मातृ सदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती अब तक सबसे ज्यादा 17 बार गंगा रक्षा के लिए अनशन कर चुके हैं। मातृ सदन के संत अपने अनशन को तप का नाम देते हैं, क्योंकि वे गंगा की रक्षा के लिए अनशन नहीं तप और साधना कर रहे हैं। स्वामी शिवानंद सरस्वती तो कई बार अपने अनशन के दौरान जल तक का चुके हैं। इस बार मातृ सदन के गंगा रक्षा आंदोलन में अनशन यानी तप की बागडोर किसी ब्रह्मचारी या युवा संन्यासी ने नहीं बल्कि 22 साल की युवा साध्वी पद्मावती ने संभाली है और वे स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद प्रोफेसर जीडी अग्रवाल की राह पर चल निकली है और गंगा रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगाए बैठी हैं।। उन्होंने पिछले साल 15 दिसंबर से अपने आध्यात्मिक गुरु स्वामी शिवानंद सरस्वती के आश्रम मातृ सदन में उनकी छत्रछाया में गंगा रक्षा के लिए आमरण अनशन शुरू किया था। मातृ सदन में गंगा रक्षा के लिए यह 61 वां अनशन है और पहली बार कोई साध्वी मातृ सदन में अनशन के लिए बैठी है।

साध्वी पद्मावतीप्रोफेसर जीडी अग्रवाल स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद की गंगा रक्षा के लिए की गई मांगों को केंद्र और राज्य सरकार से मनवाने के लिए अनशन पर बैठी हैं। वे नालंदा कॉलेज बिहार की बीए ऑनर्स दर्शन की छात्रा रही हैंं। उनके अनशन को 17 दिन हो चुके हैं और उनका वजन डेढ़ किलो से ज्यादा गिर चुका है। परंतु केंद्र और राज्य सरकार की ओर से उनके अनशन को समाप्त करने के लिए अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।

प्रोफेसर जीडी अग्रवाल की गंगा रक्षा के लिए जिन मांगों को लेकर साध्वी पद्मावती अनशन पर बैठी हैं, उन्हीं मांगों को लेकर इसी मातृ सदन में ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने 194 दिन तक अनशन किया था। केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों और नमामि गंगे के अधिकारियों के लिखित और मौखिक आश्वासन के बाद ब्रह्मचारी ने अपना अनशन समापत् किया था। परंतु 6 महीने बीत जाने के बाद भी रक्षा के लिए दिए गए आश्वसनों को धरातल पर नहीं उतारा गया तो अब गंगा रक्षा के आंदोलन चलाने की जिम्मेदारी मातृशक्ति ने अपने ऊपर ली है।

साध्वी पद्मावती का कहना है कि जब तक गंगा एक्ट गंगा रक्षा के लिए नहीं बन जाता और प्रोफेसर अग्रवाल की चार मुख्य मांगे पूरी नहीं हो जाती, तब तक वह अपना अनशन जारी रखेंगी, चाहे उन्हें प्राणों की ही क्यों ना आहुति देनी पड़े। मातृ सदन की चार मांगें हैं। इनमें पहली गंगा नदी पर प्रस्तावित और निर्माणाधीन समस्त बांधों को निरस्त किया जाए। दूसरी मांग गंगा और उसकी सहायक नदियों पर बने हुए बांधों गंगा और अन्य नदियों पर आईआईटी रुड़की द्वारा प्रस्तावित जल की मात्रा छोड़ी जाए और ये नियम हरिद्वार के भीमगोड़ा और नरोरा आदि बांधों पर भी हो लागू किया जाए।

तीसरी मांग गंगा पर खनन संबंधी राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के आदेश का पूरी तरह पालन किया जाए और इसके लिए नोटिफिकेशन जारी किया ताकि भविष्य में इसके साथ छेड़छाड़ न हो सकें। चौथी मांग गंगा के एक्ट के लिए एक विस्तृत चर्चा हो जिसमें मातृ सदन एवं अन्य गंगा समर्पित संस्था भी सम्मिलित शामिल की जाएं। उसके बाद ही इसे संसद में पारित होने के लिए भेजा जाए। वहीं साध्वी पद्मावती के समर्थन में 5 और 6 जनवरी को देशभर से गंगा रक्षा के आंदोलन से जुड़े संगठनों के आंदोलनकारी जुटेंगे और जो आगे की रणनीति बनाएंगे।