भागलपुर बाल गृह की पूर्व संचालिका व अधीक्षक रूपम कुमारी को आखिरकार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उनके खिलाफ ज़िलाधीश के आदेश पर जीरोमाइल थाना प्रभारी ने बीते साल 18 जुलाई को दफा 201, 406, व 409 के तहत मामला दर्ज किया था। इस मामले में वार्डन पहले ही गिरफ्तार हो चुका है। मालूम रहे कि राज्य के सभी बाल व बालिका आश्रय गृह की सोशल आडिट टाटा इंस्टीच्यूट आफ सोशल सर्विसेज से 2017 में कराई गई थी। रिपोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इसकी जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा गया है।
भागलपुर के बाल गृह से जुड़े मामलों की जांच भी सीबीआई कर रही है। और चार दफा सीबीआई के अधिकारी इस सिलसिले में यहां आ चुके है। जांच में बच्चों को प्रताड़ना, मारपीट, घटिया भोजन और भी कई बातें सामने आई थी। हालांकि वार्डन को तो पुलिस ने फौरन गिरफ्तार कर लिया गया था। दफा 164 के तहत पांच बच्चों का बयान अदालत में न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने कराया गया था। भागलपुर बाल गृह का संचालन खगड़िया की स्वयं सेवी संस्था रूपम प्रगति समाज समिति कर रही थी। जिसका ठेका राज्य के दूसरे बाल व बालिका आश्रय गृह के संचालकों के साथ रद्द कर दिया था। और बाल संरक्षण के सहायक निर्देशक को प्रभार लेने का आदेश ज़िलाधीश ने दिया था।
मगर एक साल गुजर जाने के बाद भी रूपम स्वयं सेवी समिति ने प्रभार नहीं सौंपा। बल्कि फरार हो गई। ज़िलाधीश के आदेश पर समिति की सचिव रूपम कुमारी पर बीते साल आठ दिसंबर को बाल संरक्षण सहायक निदेशक विकास कुमार के लिखित आवेदन पर पुलिस ने मामला दर्ज किया था। जिसे उसे आज गिरफ्तार कर लिया गया।
