बिहार में गांजा की तस्‍करी बढ़ गई है। इस साल तकरीबन दो हजार छह सौ किलो से ज्यादा का गांजा डीआरआई, एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स और पुलिस के सहयोग से बरामद किया गया है। बिहार में 2016 से शराबबंदी लागू है। नशाखोर गांजा, भांग और स्मैक की लत के शिकार हो गए हैं। डीआरआई ने अपनी रिपोर्ट में यह खुलासा करते हुए कहा है कि यह नेपाल और बांग्लादेश से तस्करी कर बिहार लाया जाता है। इनकी सीमाएं बिहार से सटी है। इसके अलावे ओडिशा से भाया झारखंड नशीले पदार्थों की तस्करी हो रही है। पूर्वोत्तर के राज्यों त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश से भी तस्करी के जरिए गांजा बिहार में लाया जाता है।

एसपी सुशील कुमार ने बताया कि बिहार की आर्थिक अपराध यूनिट (इओयू) भी समय-समय पर छापेमारी करती है। मगर फिर भी चोरी छिपे काफी मात्रा में नशीले पदार्थों की तस्‍करी हो रही है। तभी तो इतनी मात्रा में गांजा बरामद हुआ है। जबकि बीते साल 1297 किलोग्राम गांजा बरामद किया गया था। वे बताते हैं कि असम, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, मणिपुर के बाद बिहार का ही नंबर गांजा तस्‍करी में आता है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल पूरे देश में 131 छापों में 27617 किलो नशीली दवाएं और गांजा डीआरआई ने जब्त किया है। 30 मामलों में 237 किलो हेरोइन, 19 छापों में 38.47 किलो कोकीन जब्त हुई है। इसके अलावे भी दूसरे नशीले पदार्थों की खेप डीआरआई ने पकड़ी है। हवाई अड्डों के कार्गो से भी ये नशीले पदार्थ बरामद हुए हैं। भागलपुर समेत पूरे प्रदेश में शराबबंदी के बाद अवैध तरीके से नशीले पदार्थों की तस्करी बढ़ गई है।