तमिलनाडू के कोयंबटूर में राष्ट्रस्वंयसेवक संघ की तीन दिवसीय बैठक शुरू हुई। उस कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को जमकर कोसा गया और आरोप लगाया गया कि वह मुस्लिम धर्म का समर्थन करती है। राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की यह बैठक मंगलवार (21 मार्च) को शुरू हुई थी। बैठक में उनके नेताओं द्वारा कहा गया कि राज्य सरकार मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति करती है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में जारी किए गए संकल्प पत्र में लिखा था, ‘मालदा में पुलिस स्टेशन को लूटना, वहां रखे सारे क्राइम रिकॉर्ड्स को जला देना राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल खड़े करता है क्योंकि वह जगह बांग्लादेश बॉर्डर से सिर्फ 8 किलोमीटर की दूरी पर है।’
संकल्प पत्र में मुस्लिम समाज और उनके मौलवियों के खिलाफ भी बातें लिखी गई हैं। लिखा गया है कि, ‘ऐसी हिंसा करने के लिए मौलवियों द्वारा फतवा जारी किया जाता है, कटवा, कालीग्राम, इमामबाजार जैसी जगहों पर हिंदुओं को निशाना बनाकर उनपर हमला किया जाता है। इस वजह से बड़ी संख्या में हिंदुओं को पलायन करना पड़ रहा है। वहीं से नकली करेंसी और गौ तस्करों को अपना काम करने के लिए समर्थन भी मिलता है।’
संकल्प पत्र में यह भी कहा गया है कि एक तरफ सरकार उन स्कूलों का बंद करने की धमकी देती है जो राष्ट्रभावना को बढ़ाने की बात करते हैं लेकिन दूसरी तरफ उसने मदरसों को लेकर अपनी आंखें मूंद रखी हैं। कार्यक्रम में RSS के नेताओं ने पश्चिम बंगाल में अपने संगठन को मजबूत करने की भी बात कही।
कार्यक्रम में बंगाल में हुई कुछ हिंसक घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा गया कि बंगाल सरकार ने उनको छिपाने की कोशिश की। कार्यक्रम में यह भी कहा गया कि राज्य में हिंदुओं की आबादी लगातार गिर रही है। संकल्प पत्र में लिखा गया है कि 1951 से अबतक वहां पर हिंदू आबादी 8 प्रतिशत गिर चुकी है। लिखा है, ‘1951 में हुई जनगणना में हिंदू जनसंख्या 78.45 थी। पिछली जनगणना में वह 70.54 रह गई। 2014-2017 के बीच जिहादी कम से कम छह लोगों की जान ले चुके हैं।’
