राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यूं तो खुद को सांस्कृतिक संगठन बताता है लेकिन राजनीति से उसकी अंदरूनी सांठगांठ किसी से छिपी नहीं है। भारतीय जनता पार्टी (बीेजेपी) और बीजेपी गठबंधन की सराकारों में संघ के पूर्ण कार्यकालिक कार्यकर्ता प्रमुख जिम्मेदारियां समय-समय पर उठाते रहे हैं। भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र स्वयं भी संघ के पूर्णकालिक कार्यकर्ता रह चुके हैं। लेकिन पिछले लोक सभा चुनाव में जिस तरह बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला उसके बाद ही आरएसएस पार्टी में अपने कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपने के लिए मामले में पहले से तेजी दिखा रहा है। मीडिया रिपोर्ट की मानें आरएसएस 23 अक्टूबर से हैदराबाद में होने वाली “दिवाली बैठक” में कुछ और प्रचारकों को बीजेपी में प्रतिनियुक्ति पर भेजने का फैसला कर सकता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आरएसएस के सर्वोच्च पदाधिकारी इस मसले पर विचार कर रहे हैं। माना जा रहा है कि आरएसएस इस बैठक में विभिन्न राज्यों में अगले साल होने वाले विधान सभा चुनावों के मद्देनजर रणनीति पर भी विचार किया जाएगा। बैठक में संघ के पहले से चला जा रहे कार्यक्रमों की समीक्षा भी की जाएगी।
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दिवाली बैठक की अध्यक्षता आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और संघ में नंबर दो भैयाजी जोशी करेंगे। भागवत अगले महीने राष्ट्रीय सेविका समिति के तीन दिवसीय “प्रेरणा शिविर” का भी उद्घाटन करेंगे। इस शिविर में युवाओं को संघ से जोड़ने, सामाजिक समरसता और परिवार के महत्व जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी। 11 नवंबर से शुरू होने वाले शिविर में लोक सभा सुमित्रा महाजन, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, केंद्रीय मंत्री उमा भारती, गोवा की गवर्नर मृदुला सिन्हा, मणिपुर की गवर्नर नजमा हेपतुल्ला भी शामिल होंगे। सूत्रों के अनुसारक कार्यक्रम में 3000 सेविका समिति सदस्य शामिल होंगे।
हाल ही में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने एक सभा में बोलते हुए भारत द्वारा पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक का निर्णय लेने के लिए खुद के और पीएम मोदी के संघ में हुए प्रशिक्षण को श्रेय दिया। हालांकि मीडिया रिपोर्ट अनुसार पीएम मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक के बाद हुई कैबिनेट बैठक में सभी मंत्रियों और पार्टी नेताओं को इसका श्रेय लेने से बचने के लिए कहा था।

