केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री रामदास अठावले का कहना है कि केंद्र सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को सरकारी नौकरी और शिक्षा में 10% आरक्षण दे चुकी है। अब सरकार को ओबीसी कैटिगिरी में आर्थिक रूप से पिछले लोगों को सरकारी नौकरी व शिक्षण संस्थानों में 10% अतिरिक्त आरक्षण बढ़ाने पर विचार करना चाहिए।

ओबीसी में बने नई सब-कैटिगिरी : संडे एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान अठावले ने कहा, ‘‘केंद्र और राज्य सरकार को ओबीसी आरक्षण 27% से बढ़ाकर 37% करना चाहिए। इसके तहत ओबीसी में एक सब-कैटिगिरी बनानी चाहिए, जिसमें अत्यधिक गरीबों और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों को रखना चाहिए।’’

10% आरक्षण का फैसला ऐतिहासिक : उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र सरकार की ओर से ओवरऑल आरक्षण 60% है, जो इस फैसले के बाद 70% हो जाएगा। हालांकि, मुझे विश्वास है कि ओवरऑल आरक्षण को 75% तक किया जा सकता है।’’ अठावले ने सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10% आरक्षण देने के फैसले को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि इस कदम का काफी वक्त से इंतजार किया जा रहा था।

अठावले ने शुरू कीं लोकसभा चुनाव की तैयारियां : अठावले ने कहा, ‘‘मैं खुद एनडीए के सामने आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए आरक्षण लाने का प्रस्ताव तीन बार रख चुका था। यह फैसला अगड़ी और पिछड़ी जातियों की सोशल इंजीनियरिंग की नई शुरुआत करेगा। इस कदम से सामान्य वर्ग और दलितों के बीच नाराजगी कम होगी। साथ ही, सामाजिक सौहार्द भी बढ़ेगा।’’ बता दें कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अठावले अगड़ी और पिछड़ी जातियों की सोशल इंजीनियरिंग के संदेश के साथ महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश के दौरे की तैयारी कर रहे हैं।

संविधान संशोधन को नहीं मिल सकती कानूनी चुनौती : केंद्रीय मंत्री ने आरक्षण के फैसले को कानूनी चुनौती मिलने के मुद्दे पर कहा, ‘‘संसद ही सर्वोच्च है। संविधान के संशोधन को कानूनी चुनौती नहीं दी जा सकती। अब यह एक अधिनियम बन चुका है, जिसे संसद ने पास किया है। अब हमने संविधान में संशोधन कर दिया है तो 50% आरक्षण की सीमा खत्म हो गई है।’’

आरक्षण बढ़ाने के फैसले को ठहराया सही : अठावले ने कहा कि संविधान सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के मानदंडों पर आरक्षण को सही ठहराता है। इसमें संशोधन के लिए भी जगह है। संविधान लिखने वाले डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर ने भी संशोधन का प्रावधान रखा है। यह सुनिश्चित करता है कि जाति और समुदाय पर आधारित परिस्थितियों के मुताबिक लोगों को न्याय दिया जा सके। अगर हम बाबासाहेब अंबेडकर के जीवन और कार्यों को देखें तो वे हमेशा सभी जातियों व समुदाय को साथ लाने के लिए लड़ते रहे। आरक्षण का मतलब गरीबों को सिर्फ इसलिए कमजोर या वंचित करना नहीं है कि वे अगड़ी जाति के हैं।