राजस्थान में यौन उत्पीड़न के आरोपों में मुकदमों का सामना कर रहे कथा वाचक आसाराम को नियमित और चिकित्सीय आधार पर अंतरिम जमानत देने से उच्चतम न्यायालय ने सोमवार (30 जनवरी) को इंकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर और न्यायमूर्ति एन वी रमण की पीठ ने गुजरात में दर्ज यौन अपराध से संबंधित एक अन्य मामले में आसाराम को चिकित्सीय आधार पर अंतरिम जमानत के लिये दायर याचिका खारिज करते हुये कहा कि इसमें कोई दम नहीं है। शीर्ष अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि आसाराम ने जमानत के लिये न्यायालय को राजी कराने के प्रयास में ‘फर्जी दस्तावेज’ पेश किये। इस संबंध में न्यायालय ने कथित रूप से फर्जी दस्तावेज तैयार करके दाखिल करने के लिये जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है।
पीठ ने कहा कि अपने पैरोकार के जरिये फर्जी दसतावेज दाखिल करना एक गंभीर अपराध है और इसे सिर्फ माफी मांगने के आधार पर खत्म नहीं किया जा सकता। न्यायालय ने कहा कि हम आठ नवंबर, 2016 के पत्र और 6 दिसंबर, 2016 के आदेश पर अमल करते हुये दाखिल हलफनामे के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देते हैं। न्यायालय ने आसाराम की नियमित जमानत की याचिका खारिज करते हुये कहा, ‘हम संबंधित जांच अधिकारी को निर्देश देते हैं कि इसकी यथाशीघ्र जांच पूरी की जाये और यदि कोई मामला बनता है तो सभी संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी प्रावधानों के अनुरूप आपराधिक मुकदमा शुरू किया जाये।’
शीर्ष अदालत ने नियमित जमानत की याचिका खारिज करते हुये कहा कि इस मुकदमे को अनावश्यक रूप से लंबा खींचा जा रहा है और अभियोजन के गवाहों पर भी हमले हो रहे हैं जिसमें दो गवाहों की मृत्यु हो चुकी है। पीठ ने कहा, ‘तद्नुसार, हमारा मानना है कि याचिकाकर्ता (आसाराम) द्वारा किया गया अनुरोध (नियमित जमानत) न्यायोचित नहीं है।’ चिकित्सीय आधारों पर अंतरिम जमानत का अनुरोध अस्वीकार करते हुये न्यायालय ने कहा कि उनकी चिकित्सीय स्थिति ‘इतनी गंभीर नहीं है’ जिसकी वजह से उन्हें किसी अन्य जेल या अस्पताल में स्थानांतरित किया जाये। राजस्थान सरकार के अनुसार आसाराम का जोधपुर के अस्पताल में उपचार हो रहा है जिसमे उनके इलाज की सारी सुविधायें हैं।
इस मामले की सुनवाई के दौरान आसाराम की अंतरिम जमानत के लिये पेश हुये वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफडे ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक वह पौरूष ग्रंथि की समस्या से जूझ रहे हैं और इसके लिये उन्हें उपचार की जरूरत है। राजस्थान सरकार की ओर अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आसाराम का स्वास्थ्य अब स्थिर है और कोई कारण बताये बगैर ही उन्होंने एमआरआई परीक्षण कराने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि आसाराम का जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में 2014 से इलाज चल रहा है और वहां पर उपचार की उच्चकोटि की सुविधायें उपलब्ध हैं। शीर्ष अदालत ने आसाराम की जमानत याचिका खारिज करते हुये इस तथ्य का संज्ञान लिया कि यह याचिका जोधपुर केन्द्रीय जेल के अधीक्षक द्वारा जारी संदेश पर आधारित है।
शीर्ष अदालत ने गत वर्ष 28 अक्तूबर को आसाराम की याचिका पर राजस्थान सरकार से जवाब मांगा था। इस याचिका में आसाराम ने जोधपुर स्थित एम्स में ही उपचार कराने का निर्देश देने संबंधी आदेश में सुधार का अनुरोध किया था। इससे पहले, गुजरात सरकार ने न्यायालय को सूचित किया था कि आसाराम के खिलाफ उसके यहां दर्ज बलात्कार के मामले की कार्यवाही शीघ्रता से चल रही है और यह छह महीने के भीतर पूरी हो जाने की उम्मीद है। इसलिए आसाराम को इस मामले में जमानत नहीं दी जानी चाहिए। आसाराम को 31 अगस्त 2013 को जोधपुर पुलिस ने यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया था और वह उसी समय से जेल में हैं।

