हमारे देश में जहां पढ़ाई, नौकरी और व्यवसाय में लड़कियां लड़कों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं वहीं लड़कियां अब सामाजिक रीति-रिवाजों को पूरा करने में भी पीछे नहीं है। कई जगहों पर देखा गया है कि परिवार में लोग बेटों की जगह बेटियों को नहीं देते वहीं राजस्थान में बेटियों ने पिता को मुखाग्नि देकर एक नई मिसाल पेश की है। यह मामला राजस्थान में अजमेर के मिल कॉलोनी का है। यहां पर रहने वाली चार बेटियों ने अपने पिता को मुखाग्नि ही नहीं दी उन्होंने अपने पिता के पार्थिव शरीर को अपने कंधे पर उठाकर शमशान घाट भी पहुंचाया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मंगलवार को मिल कॉलोनी राजपूत महासभा के अध्यक्ष किशोर बड़गुर्जर को अचानक देर रात हार्ट अटैक आ गया जिससे उनकी मौत हो गई। किशोर बड़गुर्जर का एक भी बेटा नहीं है उनकी केवल चार बेटियां ही हैं। किशोर की मौत के बाद उनके पड़ोसी सोच में डूब गए कि बेटा न होने के कारण किशोर को कंधा और मुखाग्नि कौन देगा। लोगों को इस बारे में बात करता देख चारों बेटी पूजा, वंदना, अन्नू और दीपू ने विचार किया कि वे अपने पिता को कंधा देंगी और उनका दाह-संस्कार करेंगी। वहीं इस दौरान राजपूत महासभा के लोग और राज्य के कई नामी-गिरामी लोग किशोर बड़गुर्जर को श्रद्धांजलि देने के लिए सुरजपोल गेल स्थित शमशान घाट पहुंचे।
अजमेर के अलावा राजस्थान के किरौली जिले में भी ऐसा ही देखने को मिला जहां पर दो बेटियों ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। किरौली के गंगापुर मार्ग के रहने वाले बाबूलाल माली की मृत्यू हो गई। किशोर बड़गुर्जर की तरह ही बाबूलाल का कोई बेटा नहीं है और उनकी दो बेटियां हैं। बाबूलाल की बेटी राजकुमारी और कमलेश की शादी हो चुकी है। अपने पिता के निधन की सूचना मिलते ही दोनों बेटियां अपने घर पहुंची। बेटा न होने के कारण इन दोनों ने अपने पिता को मुखाग्नि देने का फैसला किया। इन दोनों मामलों से पता चलता है कि देश में कुछ बदलाव हो रहे हैं। जहां पहले हर बात में लड़कियों को ताना मारा जाता था कि बेटियां बेटों की जगह कभी नहीं ले सकती लेकिन इन दोनों मामलों ने साबित कर दिया है कि समाज में बेटे और बेटी के भेदभाव को अब खत्म करने की कोशिश की जा रही है।
