राजस्थान में इन दिनों सरकारी भर्तियों में नियमों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। लिहाजा भर्तियों के लिए जिम्मेदार एजेंसियों को 30 से ज्यादा नौकरियों के लिए संशोधन पत्र जारी करने पड़े हैं। इन संशोधनों को लेकर बेरोजगारों में उलझन भी बनी हुई है कि युक्तियों के समय इन पर कहीं अदालती रोक नहीं लग जाए। बेरोजगारों को फार्म भरने के बाद संशोधन के लिए फिर से आवेदन में कटाई-छंटाई की जटिल प्रक्रिया भी मुसीबत बन गई है।राज्य में चुनावी साल होने के कारण सरकार ने 55 हजार से ज्यादा पदों के लिए भर्तियां निकाल कर बेरोजगारों को राहत देने की कोशिश तो की है पर भर्ती प्रक्रिया के दौरान ही बार-बार उनमें संशोधन के पत्र निकलने से युवाओं में कई तरह की शंकाएं भी उपज रही हैं।
आवेदन पत्रों को भरने के बाद एक बार फिर से संशोधन पत्र के मुताबिक बदलाव करने में ही परेशानी का सामना करना पड़ता है। प्रदेश में पिछले दो महीने के भीतर लोक सेवा आयोग और राज्य अधीनस्थ व मंत्रालयिक सेवा चयन बोर्ड व अन्य एजेंसियों ने 55 हजार से ज्यादा पदों की भर्तियां निकाली हैं। प्रदेश के कई निगम बोर्ड और अन्य स्वायत्तशासी संस्थाओं में भी भर्तियों की प्रक्रिया चल रही है। इन भर्तियों के निकलने के बाद से ही हर दूसरे दिन किसी न किसी भर्ती के लिए संशोधन पत्र भी जारी हुए हैं। भर्तियों के ज्यादातर संशोधन आयु सीमा, आवेदन तिथि, केंद्र परिवर्तन, शैक्षणिक योग्यता, पदों के वर्गीकरण को लेकर है। उदाहरण के लिए लिपित ग्रेड-2 और कनिष्ठ सहायक पदों के लिए सीधी भर्ती का संशोधन 16 अप्रैल को निकला।
इसमें पूर्व सैनिकों की सेवानिवृत्ति से जुड़ा और आयु को लेकर बदलाव किया गया। इसी तरह कर सहायक की 14 मार्च को निकली भर्ती में दो मई को संशोधन पत्र जारी किया गया। इसमें बताया गया कि पांच साल से भर्ती नहीं होने के कारण आवेदकों को आयु सीमा में छूट दी गई। राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव का कहना है कि भर्तियों के आवेदन में बार-बार संशोधन से साफ जाहिर होता है कि वाहवाही लूटने के मकसद से आनन-फानन में भर्तियां निकाली गईं और उनमें तय नियमों और मापदंडों का ध्यान ही नहीं रखा गया। इसके साथ ही प्रदेश में बेरोजगारों की कतार खड़ी है। दूसरी तरफ भर्ती एजेंसियों का तर्क है कि सरकार कुछ बदलाव करती है और उसके दिशा-निर्देश जारी होते हैं। इसी के पालन में संशोधन भी जारी किए जा रहे हैं।
राज्य में फिलहाल विभिन्न विभागों के लिए 55 हजार से ज्यादा पदों के लिए भर्तियों की प्रक्रिया चल रही है। इनमें से कई में तो आवेदन की अंतिम तिथि निकल चुकी है और कई की परीक्षाएं भी हो गई हैं। इसके बावजूद इनमें संशोधनों का क्रम भी जारी है। इससे बेरोजगारों के सामने परेशानी यह खड़ी हो गई है कि कई पदों पर तो योग्यताओं में ही बदलाव कर दिया गया है। इससे कई बेरोजगार तो आवेदन करने और परीक्षा देने के बाद उसके लिए अपात्र हो गए हैं।
-उपेन यादव, अध्यक्ष, राजस्थान बेरोजगार एकीकृत महासंघ
भर्तियों में अब जिस तरह से संशोधन जारी किए जा रहे हैं, उससे साफ लगता है कि इन्हें जल्दबाजी में निकाला गया है। होना तो यह चाहिए कि किसी भी भर्ती को निकालते समय ही उसके सभी मापदंड तय किए जाने चाहिए। नियम कायदों का पालन तय समय में ही किया जाए तो आवेदकों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
-गिरीश कुमार, राजस्थान शिक्षक संघ प्रगतिशील
कार्मिक विभाग की तरफ से भर्तियों को लेकर कई मामलों में बदलाव के निर्देश मिलते हैं। सरकार के इन निर्देशों का ही बोर्ड पालन करता है। संशोधन जारी होने से आवेदकों को उस बारे में साफ जानकारी मिल जाती है। इससे आवेदकों को राहत ही मिलती है। बोर्ड के ज्यादातर संशोधन आवेदन की अंतिम तिथि से पहले ही जारी हुए है, इससे किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।
– बीएल जाटावत, अध्यक्ष, राजस्थान अधीनस्थ व मंत्रालयिक सेवा चयन बोर्ड