जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल (JLF) 2017 के चौथे दिन रविवार (22 जनवरी) को एक परिचर्चा में गीतकार और विज्ञापन लेखक प्रसून जोशी ने कहा कि हिन्दी फिल्मों के जिन गानों का महिलाओं को विरोध करना चाहिए वो उन्हीं गानों पर डांस करती हैं। जोशी ने कहा कि हिन्दी फिल्मों में महिलाओं को बहुत आपत्तिजनक तरीके से दिखाया जाता है। जोशी ने कहा कि महिलाओं को शायद ये पता भी नहीं होता कि वो किस बात पर डांस कर रही हैं। प्रसून ने कहा कि बुरे काम को नकारे बिना नए काम के लिए जगह नहीं बन सकती। राजस्थान की राजधानी में हर साल होने वाले इस साहित्यक आयोजन का ये दसवां साल है।
जोशी ने कहा कि वो विज्ञापन बनाते समय इस बात का ख्याल रखते हैं कि वो महिलाओ की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाले या समाज के लिए नुकसानदेह न हों। जोशी ने कहा कि वो 15 साल की उम्र से कविता लिख रहे हैं लेकिन उन्हें पता था कि कविता से उनका खर्च नहीं चलेगा इसलिए उन्होंने विज्ञापन जगत को पेशे के तौर पर चुना।
जोशी को इस बात से शिकायत है कि भारत में लोगों को कविता ताजा हवा और पानी की तरह मुफ्त में चाहिए होती है और कोई उसके लिए पैसे नहीं देना चाहता। जोशी ने कहा कि कविता एक दृष्टि देती है। जो दूसरों को नहीं दिख रहा, उसके पार देख लेना कविता है। जोशी ने कहा कि वो कविता का इस्तेमाल एड बेचने के लिए करते हैं।
बातचीत में जोशी ने विज्ञापनों का बचाव करते हुए कहा विज्ञापन “सच्चे” होते हैं क्योंकि वो किसी को बेवकूफ नहीं बनाते। विज्ञापन साफ कहते हैं कि वो विज्ञापन हैं। जोशी ने कहा कि बेवकूफ मीडिया बनाता है, जो न्यूज के नाम पर पेड न्यूज छापता है। जोशी ने कहा कि तकनीकी लोगों के बीच भेदभाव खत्म कर रही है। जोशी ने कहा कि तकनीकी सूचना को सबको उपलब्ध करा रही है इसलिए अब इस बात का ज्यादा महत्व है कि सूचना का कौन कैसे इस्तेमाल करता है।
देखें जयपुर साहित्य समारोह में गीतकार प्रसून जोशी की चर्चा-

