राजस्थान में बेटी बचाओ मुहिम को धता बताते हुए भ्रूण लिंग जांच का गोरखधंधा जारी है। क ोख में बेटी को मार डालने वालों पर सख्त कानून के अभाव में ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही है। इस धंधे में डाक्टरों के साथ ही उनके कई दलाल लगे हुए हैं। इनमें से कई तो पकडेÞ जाने के बाद जेल से छूटने के बाद फिर इसी धंधे में लग जाते हैं। राज्य में घटते लिंगानुपात को रोकने के लिए सक्रिय सामाजिक संगठन भी अब सरकार से लिंग परीक्षण को रोकने के लिए कठोर कानून की वकालत करने लगे हैं। राज्य में बेटियों की संख्या घटने और बढ़ने का खेल अब आंकड़ों का मायाजाल बन गया है।
राजस्थान में लड़कों और लड़कियों का लिंगानुपात गड़बड़ा गया है। इसे रोकने के लिए पीसीपीएनडीटी एक्ट के प्रावधानों के तहत अवैध लिंग परीक्षण करने वालों के खिलाफ स्वास्थ विभाग की विशेष टीमें प्रदेश में लगातार कार्रवाई भी कर रही हैं। राजस्थान में भ्रूण लिंग परीक्षण के कारोबार बड़े पैमाने पर हो रहा है। बेटे की चाहत में ग्रामीण इलाकों में लिंग परीक्षण के लिए सोनोग्राफी मशाीनों को बेजा इस्तेमाल बेरोकटोक होने लगा है। इस पर लगाम लगाने में सरकार अभी तक नाकाम ही साबित हुई है। हाल में हनुमानगढ़ जिले में पीसीपीएनडीटी टीम ने कार्रवाई करते हुए एक डाक्टर और उसके दलाल को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया। स्वास्थ विभाग के एनआरएचएम निदेशक नवीन जैन ने एक मुहिम चलाई है। जैन का कहना है कि राज्य में ही नहीं सीमावर्ती राज्यों में भी उनकी टीम ने कार्रवाई करते हुए इस अवैध धंधे में लगे डॉक्टरों की धरपकड़ की है। इस तरह की धरपकड़ के लिए पहली बार मुखबिर योजना के तहत काम किया जा रहा है। मुखबिरों के जरिए ही लिंग परीक्षण करने वाले केंद्रों और डॉक्टरों की पहचान कर उनकी धरपकड़ की जा रही है।
राज्य के बूंदी जिले में तो चौंकाने वाली धरपकड़ हुई थी। इसमें ऐसी महिला डॉक्टर गिरफ्तार हुई जो पहले भी लिंग परीक्षण करते हुए पकड़ी गई थी। बूंदी में सरकारी सेवा में रहते हुए डॉक्टर लाज व्यास को दो साल पहले गिरफ्तार किया गया था। जेल जाने पर उसे सरकारी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। जेल से छूटने के बाद इसने लिंग परीक्षण का गोरखधंधा फिर से चला दिया। बूंदी में पीसीपीएनडीटी सेल के समन्वयक राजीव लोचन ने इस पर निगरानी रख पकड़ लिया। इस डॉक्टर के पास फर्जी ग्राहक भेज कर 18 हजार रुपए में लिंग परीक्षण का सौदा करते हुए अब फिर से गिरफ्तार किया गया है।
प्रयासों के बावजूद सुधार नहीं
लिंगानुपात को बराबरी पर लाने की मुहिम में जुटे सामाजिक कार्यकर्ता राजन चौधरी का कहना है कि तमाम प्रयासों के बावजूद सुधार नहीं हो रहा है। चौधरी ने ही राज्य में अवैध लिंग परीक्षण करने वाले डॉक्टरों का झुंझनूं में पहला स्टिंग आपरेशन किया था। उन्होंने इसमें कई डॉक्टरों की पोल खोलते हुए उन्हें पकड़वाया था। चौधरी का कहना है कि राज्य में 2016 में जीवित शिशु दर का आंकड़ा 943 हो गया है। इससे पहले 2010 में यह 887 था। इसके उलट शून्य से 6 साल के शिशुओं के आंकड़े के हिसाब से लिंगानुपात अभी एक हजार लड़कियों पर 888 ही है जो बेहद शर्मनाक है।