भारतीय चिकित्सा में सबसे प्रमुख आयुर्वेद की राजस्थान में काफी दुर्दशा है। प्रदेश में आयुर्वेद चिकित्सा के चार हजार औषधालय होने के बावजूद लोगों को इनका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। आयुर्वेद विभाग में इन दिनों तबादलों का जो हाल है उससे इस इसके सरकारी चिकित्सकों में अफरा तफरी का माहौल हुआ है। प्रदेश में आयुर्वेद के चार हजार चिकित्सक हैं। इस वर्ष मई महीने में ही करीब एक हजार चिकित्सकों के तबादले होने से आयुर्वेद चिकित्सा पूरी तरह से गड़बड़ा गई है। प्रदेश के शहरी और ग्रामीण इलाकों के ज्यादातर औषधालय बगैर चिकित्सकों के ही चल रहे हैं। आयुर्वेद विभाग में चार हजार आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों का कैडर है। इनमें से 800 आयुर्वेद चिकित्सकों का तबादला होने से चिकित्सा सेवा ठप हो गई है। चिकित्सक तबादले निरस्त करवाने और अपने इच्छित स्थानों पर पदस्थापन में ही व्यस्त हैं।

राजस्थान आयुर्वेद चिकित्सक संघ के अनुसार सरकार अब तबादलों में सिफारिशों के आधार पर संशोधन और निरस्तीकरण के आदेश निकाल कर चिकित्सकों में भय का माहौल बना रही है। आयुर्वेद चिकित्सक संघ के सचिव रामजीलाल शर्मा ने कहा कि सरकार आयुर्वेद चिकित्सा को दोयम दर्जे का मान कर बर्ताव कर रही है। आयुर्वेद चिकित्सकों को परेशान करने के मकसद से ही उनके तबादले किए जा रहे हैं। इसमें भ्रष्टाचार भी किया जा रहा है। आयुर्वेद विभाग हर दूसरे-तीसरे दिन चिकित्सकों के आदेश निकाल रहा है। विभाग ने 18 मई को 292 और 24 मई को 438 चिकित्साधिकारियों के बंपर तबादले किए थे।

राजस्थान उन चंद प्रदेशों में है जहां आयुर्वेद और भारतीय चिकित्सा का अलग से विभाग गठित है। इस विभाग के आयुर्वेद चिकित्सकों ने ग्रामीण इलाके की स्वास्थ सेवाओं में अहम योगदान भी दिया है। चिकित्सकों की मांग पर ही सरकार ने उनकी पदोन्नति के बारे में कई नीतिगत निर्णय भी लिए हैं। इसके तहत ही प्रदेश में प्रधान आयुर्वेद चिकित्साधिकारी के 118, वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्साधिकारी प्रथम के 458, वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्साधिकारी द्वितीय के 1450 और आयुर्वेद चिकित्साधिकारी के 2304 पदों का सृजन किया है। प्रदेश में गत 13 अप्रैल को आयुर्वेद चिकित्सकों की विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक कर 1226 चिकित्सकों को तरक्की के लिए चयनित किया गया था। सरकार को इनके पदस्थापन करने थे पर इन चिकित्सकों को तरक्की वाले पदों पर लगाने के बजाय उन्हें कनिष्ठ पदों वाले ही औषधालय में लगा दिया गया। इससे भी हताशा का माहौल पनपा हुआ है।

आयुर्वेद मंत्री कालीचरण सर्राफ का कहना है कि सरकार भारतीय चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने का भरपूर प्रयास कर रही है। आयुर्वेद के औषधालयों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ ही नए चिकित्सकों की भर्ती भी सरकार के विचाराधीन है। उनका कहना है कि आयुर्वेद चिकित्सकों के तबादले पूरी प्रक्रिया और नियमों के तहत किए जा रहे हैं। इनमें से कई तबादले तो चिकित्सकों की प्रार्थना पर किए गए हैं। चिकित्सकों की पदोन्नति के लिए भी सरकार ने पहली बार उन्हें फायदा पहुंचाने का काम किया है।