जहां एक तरफ पूरे देश में मंदिरों और मस्जिदों में लाउडस्पीकर लगाकर भजन और अज़ान बंद कराए जाने को लेकर लोगों के बीच बहसबाजी चल रही है। वहीं राजस्थान के अलवर में हिंदू-मुस्लिम एक ही छत के नीचे एक साथ बैठकर इबादत करते है। हाल ही में अलवर निवासी पहलू खान की गौ तस्कर समझ कर पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। लोगों ने सोचा था कि इस घटना के बाद यहां पर हिंदू-मुस्लिम के बीच तनाव पैदा होगा लेकिन एक ही छत के नीच दोनों धर्मों ने अपनी पूजा और अज़ान से लोगों के कयास को दरकिनार किया है। है।

यह धार्मिक पवित्र स्थल अलवर की मोती डोंगरी पहाड़ी पर स्थित है। यहां पर दोनों धर्मों के लोग एक साथ बैठकर अपने-अपने तरीके से प्रार्थना करते है। इस धार्मिक स्थल में एक जगह पर हनुमान जी का मंदिर है तो वहीं दूसरी ओर सैयद दरबार की मजार भी है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार इस प्रकार दोनों समुदाय अन्य लोगों को भी उदाहरण देते हैं कि बैर करने से कुछ नहीं मिलता, सभी को एक साथ एकजुट होकर रहना चाहिए। दोनों समुदाय का इस तरह एक ही छत के नीचे पूजा-अज़ान करने से यह साबित होता है कि दशकों से हिंदू और मुस्लिम साथ-साथ चलते आए हैं। इतना ही नहीं जो ढोल, झाल और माइक भजन के लिए इस्तेमाल होते है, वही सब चीजें अल्लाह की इबादत के लिए कव्वाली में भी इस्तेमाल की जाती हैं।

इस धार्मिक स्थल पर भगवा और हरे रंग का झंडा एक साथ लहराता है। यहां आने वाले श्रद्धालु कहते है कि मंदिर में प्रवेश करते ही कपूर और घी से जलती जोत की खुशबू के साथ दरगाह पर जलने वाली अगरबत्ती की खुशबु बहुत ही आनंद देती है। मंदिर के द्वार पर श्रद्धालु पहले टीका लगाकर हाथ जोड़कर मंदिर में जाते है और फिर इसके बाद सिर को दुपट्टे से ढ़ककर दरगाह पर इबादत करने के लिए जाते है। दोनों जगह पर पूजा करने के लिए एक ही पूजा थाली का इस्तेमाल किया जाता है। इन दोनों की जगहों की देखभाल करने वाले 51 वर्षीय महंत नवल बाबा उन लोगों पर कड़ी आपत्ति जताते है जो कि दरगाह और मंदिर के एक ही परिसर में होने पर आश्चर्य व्यक्त करते है।