राजस्थान में सरकार और सचिन पायलट के बीच जारी सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। घमासान के बीच पायलट दोहरी चाल चल रहे हैं। जहां एक तरफ पायलट ने बागी विधायकों को विधानसभा स्पीकर द्वारा अयोग्यता नोटिस भेजे जाने पर राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की वहीं दूसरी तरफ उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम से बातचीत की।
चिदंबरम कांग्रेस वर्किंग कमेटी के स्थायी सदस्य हैं। राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और पीसीसी के अध्यक्ष पद से हटा जाने के एक दिन बाद पायलट ने चिदंबरम से फोन पर बात की। एक अन्य वरिष्ठ नेता के मुताबिक पार्टी के जो नेता पायलट से बातचीत कर रहे हैं, उन्होंने वापस आने का फैसला करने पर पायलट को “सम्मानजनक वापसी” का आश्वासन दिया है। पायलट के खेमे ने अयोग्यता नोटिस के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, ऐसे में कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि पार्टी विद्रोहियों को विचार करने और वापस आने के लिए अधिक समय देने पर विचार कर सकती है।
एक वरिष्ठ नेता ने कहा “अगर पायलट कैंप ने कार्यवाही को दो-तीन दिनों के लिए टाल दिया,तो पार्टी के वकील आपत्ति नहीं कर सकते। ये प्रक्रियाएं हैं, जिनका हमें पालन करना होगा। लेकिन अगर विधायक वापस लौटते हैं, तो अयोग्यता कार्यवाही वापस ले ली जाएगी। हमें गहलोत सरकार को बचाने की कोशिश करनी है।”
राजस्थान विधानसभा सचिवालय द्वारा विधायकों को जारी किया गया नोटिस यह स्पष्ट करता है कि उन्हें तीन दिनों के भीतर अपनी लिखित टिप्पणी और प्रस्तुतियाँ भेजनी होंगी और उचित कार्यवाही के लिए अयोग्य ठहराए जाने वाली याचिका शुक्रवार दोपहर को स्पीकर के सामने लाई जाएगी। नोटिस में कहा गया है कि यदि तय समय में विधायक अपनी टिप्पणी या प्रस्तुतियाँ नहीं भेजते हैं, तो यह सुनवाई को प्रभावित करेगा।
इस बीच कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद अभिषेक सिंघवी, जो उच्च न्यायालय में पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि विधायकों द्वारा स्पीकर की अयोग्यता कार्यवाही के खिलाफ याचिका शो कॉज स्टेज पर बनाए रखने योग्य नहीं है।