राजस्थान में सूर्य के ताप का लाभ उठा उससे सौर ऊर्जा हासिल करने के मामले में सरकार की अनदेखी के कारण प्रदेश इस मामले में पिछड़ रहा है। राज्य में 25 हजार मेगावाट बिजली अकेले सौर ऊर्जा के जरिये हासिल की जा सकती है। सरकार की उदासीनता से प्रकृति से मिली सूरज की तेज किरणों से सौर ऊर्जा के मामले में प्रदेश में कोई कारगर काम नहीं हो पा रहा है। इस मामले में सरकार के साथ ही निजी क्षेत्र में गंभीर प्रयास होने चाहिए पर सरकारी अड़ंगेबाजी की वजह से निजी कंपनियां भी अब इस काम में हाथ डालने से कतराने लगी हैं। देश में सौर ऊर्जा उत्पादन के मामले में गुजरात पहले और राजस्थान दूसरे नंबर पर है। राजस्थान में अब तक 1993 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित हो चुके हैं। सौर ऊर्जा संयंत्र कम लागत में स्थापित हो जाते हैं और इनसे मंहगी बिजली का उत्पादन आसानी से हो जाता है। राजस्थान का रेगिस्तानी इलाका सौर ऊर्जा के लिए खुला मैदान है। सूर्य की तेज किरणों का लाभ उठाने के लिए ही राजस्थान सरकार ने 2014 में सौर ऊर्जा नीति बनाई थी। इस नीति पर सही तरीके से अमल होता तो इसका फायदा राजस्थान को मिलने लगता। इसको गति देने का काम राज्य अक्षय ऊर्जा विकास निगम को करना था। सरकार के स्तर पर भी सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हो रही प्रगति की समीक्षा की जाती है पर उसका कोई सकारात्मक नतीजा अब तक सामने नहीं आया है। इसी का नतीजा है कि प्रदेश में सोलर पार्क विकसित करने की दिशा में कोई ठोस कदम अभी तक नहीं उठाया गया है। केंद्रीय नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने हाल में प्रदेश के छह सोलर पार्को को मंजूरी प्रदान की है। इसमें से चार जोधपुर जिले में और दो जैसलमेर जिले में बनने हैं। इसकी मंजूरी के बाद इन पार्को को केंद्र से मिलने वाली रियायतें और आर्थिक सहायता मिलने लगेगी।
प्रदेश में सौर ऊर्जा के जानकार संजीव शर्मा का कहना है कि इस काम में सरकार और निजी क्षेत्र के साथ ही दोनों के साझा प्रयासों से सोलर पार्कों का विकास किया जा सकता है। इस दिशा में तेजी लाने के लिए सरकार को निजी क्षेत्र से बड़े पैमाने पर बढ़ावा देना होगा। शर्मा का कहना है कि राजस्थान में सौर ऊर्जा के माध्यम से इतनी बिजली का उत्पादन किया जा सकता है जो पूरे उत्तर भारत की पूर्ति कर सकती है। इस दिशा में सरकार को बड़ी पहल करने की जरूरत है। प्रदेश की मौजूदा सरकार इस दिशा में नीति बना कर काम तो कर रही है पर नौकरशाही के ढीलेपन के कारण इसमें तेजी नहीं आ पा रही है। रेगिस्तानी इलाके में लोगों को रोजगार मुहैया कराने में भी सौर ऊर्जा क्षेत्र बड़ा साधन हो सकता है।
राजस्थान सरकार ने राज्य अक्षय ऊर्जा निगम बना कर सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने का अभियान चला रखा है। प्रदेश में जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर के साथ ही जालोर जिला सौर ऊर्जा के बड़े केंद्र हो सकते हैं। बिजली विशेषज्ञ आरपी गुप्ता का कहना है कि इन जिलों में सरकार निजी लोगों को भूमि उपलब्ध करवा कर सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना करवाने में पहल करें। निजी भूमि खातेदार को भी सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कराने के लिए कर्ज मुहैया करवा कर इस दिशा में कदम आगे बढ़ाए जा सकते हैं। निजी खातेदार को अपनी भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना की अनुमति देकर बिजली उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। सरकार ने अक्षय ऊर्जा निगम को इस बारे में प्रस्ताव तैयार करने को भी कहा है। शर्मा ने कहा कि ऐसे संयंत्र कम लागत में ही लग जाते हैं। और उनकी देखरेख के लिए सिर्फ कुछ तकनीकी विशेषज्ञों की ही जरूरत होती है।
सौर ऊर्जा के लिए कई कदम उठाए : पुष्पेंद्र
ऊर्जा राज्य मंत्री पुष्पेंद्र सिंह का कहना है कि प्रदेश में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में कई कदम उठाए गए हैं। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में निजी लोगों को बढ़ावा देने के मकसद से उन्हें कई तरह की रियायतें भी दी जाती हैं। सरकार ने सौर और पवन ऊर्जा संयंत्रों से उत्पादित बिजली को राज्य से बाहर बेचने के लिए पावर ग्रिड क ऑरपोरेशन ऑफ इंडिया के साथ समझौता किया हुआ है। ग्रीन एनर्जी कोरिडोर परियोजना के तहत पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया प्रदेश में चार ग्रिड सब स्टेशनों का निर्माण भी करवाएगा। इसमें सौर ऊर्जा से उत्पादित बिजली आएगी और फिर दूसरे प्रदेशों को आपूर्ति की जाएगी। राजस्थान के सोलर पार्को के जरिये बनने वाली बिजली देश में सबसे न्यूनतम लागत में उत्पादित होने वाली होगी। इसकी लागत में और कमी लाने के लिए राज्य सरकार प्रसारण शुल्क में 50 फीसद की छूट देने के प्रस्ताव पर भी विचार कर रही है।