चंडीगढ़ में भारत का पहला कैशलेस दंगल करवाया गया। इसमें 17 बार भारत केसरी का खिताब जीतने वाले 28 साल के हितेश काला ने डिजिटल केसरी का खिताब जीता। दंगल देखने आए दर्शकों ने कुश्ती जीतने के बाद काला से हाथ मिलाते हुए उनके हाथ में 20 से 200 रुपए ईनाम के थमाने शुरू कर दिए। इस दौरान घोषणा की गई कि दर्शक पहलवानों को कैश में ईनाम ना दें, बल्कि भीम ऐप के जरिए उनके अकाउंट में पैसे जमा करवाएं। यह दंगल चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा आयोजित करवाया गया था। वहां पहुंचे एक दर्शक सोहन सिंह ने कहा, ‘जहां पहलवानों को पैसे नहीं दिए जा सकते, वहां दंगल का क्या मतलब होता है। कुश्ती देखकर सीधे दिल से आते हैं पैसे।’

वहां पर बड़े-बड़े रंगीन फ्लैक्स बोर्ड लगे हुए थे, जिन पर हर एक पहलवान का अकाउंट नंबर और बैंक की अन्य जानकारी दी हुई थी। जो पहलवानों को पैसा देना चाहते थे, उन्हें ऐप डाउनलोड करके पहलवानों के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करना होता था। सोनिपत से आए 18 साल के पहलवान सोनू ने बताया कि उनकी कुश्ती देखने आए उनके प्रशंसक परेशान थे। उन्होंने बताया, ‘वे पूछ रहे थे कि यह कैशलेस क्या है। आपके अकाउंट में कैसे पैसे ट्रांसफर किए जाएं। पहले पहलवानों को हाथ में कैश देना आसान होता था।’ सोनू ने बताया कि अगर उस इलाके में ऐप डाउनलोड करने के लिए फ्री वाई-फाई होता तो इसकी प्रतिक्रिया और भी अच्छी हो सकती थी।

कई दर्शकों ने पहलवानों के खातों में 1000 और 500 रुपए ट्रांसफर भी किए। काला को 60 हजार रुपए का ईनाम उनके अकाउंट में ट्रांसफर किया गया। काला ने बताया कि मैंने पांच साल पहले 11 लाख रुपए दंगल में जीते थे, यह मुझे कैश में मिले थे। अंदाजा लगाईए क्या होता अगर मैंने आज वह ईनाम जीता होता।’ उन्होंने अपनी पुरानी कुश्ती और कैश जीतने से होने वाली समस्याओं के बारे में बताया। उन्होंने बताया, ‘जब मैंने कैश में ईनाम जीतता था तो कई बार 5 से 10 फीसदी उसी दिन खर्च हो जाते थे। कई बार हम लोगों को दूसरे राज्यों में भाषा की समस्या होती थी। अगर गावों में होने वाले दंगल में पेमेंट का यह तरीका अपना लिया जाए तो यह हमारे लिए आसानी होगी।’

यहां देखें वीडियो-

पंजाब के पहलवान लवप्रीत जो कि पूरे भारत में दंगल में हिस्सा लेने के लिए जाते रहते हैं। उन्होंने भी इस दंगल में एक कुश्ती जीती। उन्होंने कहा कि वह साल में 40 से ज्यादा दंगल लड़ते हैं और 20 लाख रुपए से ज्यादा कमाते हैं। लवप्रती ने बताया, ‘अभी दंगल का सीजन शुरू होने वाला है। नोटबंदी और कैश लिमिट की वजह से गावों में पहलवानों के लिए मुश्किल होगी, जो कि पूरे भारत में दंगल में हिस्सा लेते हैं और कमाई करते हैं।’

पंजाब और हरियाणा के कोच वहां पहुंचे थे। वहां पहुंचे एक कोच मुकेश ने बताया, ‘हम लोगों ने चंडीगढ़ में किशनगढ़ गांव में दस लाख रुपए का दंगल रखा था। हम लोग सोच रहे हैं कि अगला सीजन कैशलेस होगा। डिजिटल केसरी काला इस इवेंट के स्टार पहलवान होंगे।’