पंजाब और जम्मू के अखनूर में इंटेलीजेंस एजेंसियों ने अलर्ट जारी किया है। यह अलर्ट सीमावर्ती गांवों में पाकिस्तानी एजेंटों के फोन कर भारतीय सेना की यूनिटों के बारे में पूछे जाने के बाद जारी किया गया है। पश्चिमी कमांड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जम्मू के अखनूर क्षेत्र के मालपुर गांव के सरपंच बभीषण सिंह के फोन पर भारतीय नंबरों से रविवार सुबह कई कॉल आए। कॉल करने वाले ने खुद को इंटेलीजेंस एजेंसी का अफसर बताया और भारतीय सेना की एक इंफेट्री बटालियन की लोकेशन के बारे में पूछा। साथ ही पास के गांवों और सीमा के पास रह रहे लोगों को निकाले जाने के बारे में भी जानकारी मांगी। इंटेलीजेंस एजेंसीज ने जब नंबर का पता लगाने के लिए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया तो इसकी पहचान ‘पाक 1’ के नाम से हुई। बताया जाता है कि पंजाब के भी कर्इ गांवों में इस तरह की कॉल की गईं। यहां पर भी सेना की यूनिट की तैनाती और अन्य जानकारी मांगी गई।
सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि भारतीय सेना की पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भी इस तरह के फोन कॉल रिकॉर्ड किए गए थे। एक अधिकारी के अनुसार, ”सीमा के पास मौजूद गांवों के सरपंचों और रसूखदार लोगों को सरकारी अधिकारी बनकर कॉल करने के प्रयास किए जा रहे हैं।” पुलिस और इंटेलीजेंस एजेंसियां लोगों को इस बारे में जागरूक करने के लिए अभियान चला रही हैं। लोगों से कहा जा रहा है कि सेना से जुड़ी कोई जानकारी ना दी जाए। एक अधिकारी ने बताया, ”ज्यादातर गांववालों को पता है कि सीमा पार से आने वाले कॉल में ’92’ कोड आता है। इसलिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों ने भारतीय सिम काम में लेना शुरू कर दिया है जिससे कि कॉल उठाने वाले को पता ना चलें कि फोन पाकिस्तान से आया है।”
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पंजाब और जम्मू कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के किनारे रह रहे लोगों से कहा गया है कि यदि वे किसी व्यक्ति को सेना के ठिकानों जैसे बंकर, सैन्य पुलों की तस्वीर लेते देखें तो उसकी जानकारी दें। साथ ही बाहरी व्यक्ति के नजर आने पर पुलिस को जानकारी देने को कहा गया है। रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों ने बताया कि साल 20011-02 में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान भारतीय सेना की तैनाती के दौरान पाकिस्तानी खुफिया एजेंट सैन्य यूनिट के लैंडलाइन पर फोन करते और मूवमेंट के बारे में पूछते। जब इस बारे में पता चला तो सेना ने सिविलियन नंबर से सीधे कॉल आने की सुविधा को बंद कर दिया।
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