2015 में गुरु ग्रन्थ साहिब के अपमान को लेकर हुई हिंसा के बाद मामले की जांच के लिए पंजाब सरकार ने एक कमीशन का गठन किया था। हिंसा में प्रदर्शनकारियों पर हुई पुलिस फायरिंग से 2 लोगों की मौत हो गई थी। जिसके बाद कमिशन का गठन सिख समुदाय को यह विश्वास दिलाने के लिए किया गया था कि सत्तारुढ़ शिरोमणि अकाली दल इस मामले की तह तक जाने के लिए गंभीर है।

मगर गुरुवार को सरकार की इस मामले में दिखाई गई गंभीरता की उस समय पोल खुल गई, जब मामले की जांच करने वाले जस्टिस (रिटा.) जोरा सिंह पंजाब चीफ सेक्रेटरी के ऑफिस पहुंचे। जस्टिस जोरा सिंह ऑफिस रिपोर्ट सौंपने आए थे, मगर देखा तो ऑफिस में ताला लगा है और वहां कोई भी अधिकारी मौजूद नहीं।

आपको बता दें पिछले साल फरीदकोट के गांव बरगाड़ी और बुर्ज जवाहर सिंह वाला में श्री गुरु ग्रंथ साहिब के सरूपों की हुई बेअदबी के बाद 14 अक्तूबर को बहबल कलां में हिंसा हुई। जिस दौरान पुलिस की गोली से 2 सिख युवकों की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हुए थे।