पंजाब के पठानकोट में एक वृद्ध महिला ने अपने शहीद जवान बेटे को कंधा दिया। कश्मीर के नौगाम में 21 सितंबर को आतंकियों और सेना के बीच हुए मुठभेड़ में हवलदार मदन शर्मा शहीद हो गए थे। गुरुवार को पंजाब के पठानकोट के घोराटा गांव में पूरे सम्मान के साथ उनको अंतिम विदाई दी गई। इस दौरान उनकी 82 साल की मां ने भी अपने बेटे को कंधा दिया।

अंत्येष्टि के समय शहीद मदन लाल शर्मा की पत्नी भावना शर्मा, मां धर्मो देवी, पांच वर्षीय बेटी श्वेता का रो-रोकर बुरा हाल था जबकि ढाई साल का बेटा कनव पिता की शहादत और वहां हो रहे अंतिम संस्कार से अनजान था। दोनों बच्चों ने अपने शहीद पिता को आखिरी बार सैल्यूट किया। अंतिम संस्कार के लिए ले जाते समय मदन शर्मा की 82 साल की धर्मो देवी ने अपने शहीद बेटे को करीब 3 किलोमीटर तक कंधा दिया।

सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने उम्र और दूरी का हवाला देते हुए शहीद की मां को कंधा देने के लिए हतोत्साहित करने की कोशिश की, लेकिन वह अड़ी रही। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने कहा- ‘इस देश की मां के कंधों में इतनी ताकत है कि देश के लिए कुर्बान बेटे की जिम्मेदारियों का बोझ उठाने का दम रखती हैं।’ देश को उनके बेटे जैसे और सैनिकों की जरुरत है।

शहीद की पत्नी भावना शर्मा ने बताया कि कुछ दिन पहले बात हुई थी। हमने नवरात्र पर बेटे के मुंडन कराने की बात तय की थी। तो हमने उनसे (मदन लाल शर्मा) छुट्टी लेने और कार्यक्रम में हिस्सा लेने को कहा था। गौरतलब है कि 21 सितंबर को जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के नौगाम क्षेत्र में घुसपैठ कर रहे आतंकियों से मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 20 डोगरा रेजिमेंट के हवलदार मदन लाल शर्मा शहीद हो गए थे। मदन लाल 1999 में सेना में भर्ती हुए थे।

मदन लाल की शहादत से गांव समेत पूरे इलाके में शोक व्याप्त है। पड़ोस के गांव के लोगों में भी शहीद बेटे को आखिरी विदाई देने की ललक दिखी। जैसे ही सेना की गाड़ी पंजाब के गांव घरोटा पहुंची, लोग उसके पीछे-पीछे हो लिए। सभी लोग अपने गांव के बेटे मदनलाल को आखिरी बार देख लेना चाहते थे। उनकी शहादत को सलाम कर लेना चाहते थे।