सरकार ने देश के पूंजीगत सामान क्षेत्र के लिए अपनी तरह की पहली नीति को बुधवार को हरी झंडी दिखा दी। इस योजना का उद्देश्य देश को विश्व स्तरीय विनिर्माण केंद्र बनाना व 2025 तक 2.10 करोड़ अतिरिक्त अवसर सृजित करना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का फैसला किया गया। इस नीति से भारत को पूंजीगत सामान के लिए विश्व स्तरीय केंद्र बनाने के दृष्टिकोण को अमलीजामा पहनाने में मदद मिलेगी। यह मेक इन इंडिया दृष्टिकोण में मजबूत स्तंभ के रूप में समग्र विनिर्माण में मजबूत भूमिका निभाएगी।

पूंजीगत सामान क्षेत्र के लिए यह अपनी तरह की पहली नीति है। इसका मकसद पूंजीगत सामान के उत्पादन को 2025 में बढ़ाकर 7,50,000 करोड़ रुपए करना है। 2014-15 में यह 2,30,000 करोड़ रुपए था। इस क्षेत्र से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगार को 84 लाख से बढ़कर तीन करोड़ किया जाना है। इस नीति का मकसद समूची विनिर्माण गतिविधियों में पूंजीगत सामान का हिस्सा मौजूदा 12 फीसद से बढ़ाकर 2025 तक 20 फीसद तक करना है।

केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने यह जानकारी देते हुए कहा कि देश में विनिर्माण गतिवधियों के साथ पूंजीगत सामान विनिर्माण हुआ तो पूरी अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा। इस नीति का उद्देश्य 2025 तक प्रत्यक्ष घरेलू रोजगार मौजूदा 14 लाख को बढ़ाकर 50 लाख करना व अप्रत्यक्ष रोजगारों की संख्या को 70 लाख से बढ़ाकर 2.5 करोड़ करना है। इस तरह करीब 2.1 करोड़ लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।

भारी उद्योग विभाग इस नीति के उद्देश्यों को समयबद्ध तरीके से हासिल करेगा। वह नीति की मंशाओं की रूपरेखा के तहत योजनाओं के लिए मंजूरी लेगा। नीति का मकसद भारत के पूंजीगत सामान क्षेत्र में घरेलू उत्पादन का हिस्सा 2025 तक 60 फीसद से बढ़ाकर 80 फीसद करना और इसके निर्यात को उत्पादन के मौजूदा 27 फीसद से बढ़ाकर 40 फीसद करना है। इसमें जिन कुछ प्रमुख मुद्दों पर ध्यान दिया गया है उनमें वित्त पोषण, कच्चा माल, नवोन्मेष व प्रौद्योगिकी, उत्पादकता, गुणवत्ता, पर्यावरण अनुकूल विनिर्माण गतिवधियां, निर्यात को बढ़ावा देना व घरेलू मांग पैदा करना शामिल है।

सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान स्टील वर्क्स कंस्ट्रक्शन लिमिटेड (एचएससीएल) के वित्तीय पुनर्गठन और एक अन्य उपक्रम एनबीसीसी की ओर से अधिग्रहण को भी मंजूरी दे दी। एचएससीएल जल्द ही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन (एनबीसीसी) की अनुषंगी होगी। एनबीसीसी की इसमें 51 फीसद हिस्सेदारी होगी। एचएससीएल में सरकार की हिस्सेदारी घटकर 49 फीसद रह जाएगी।

प्रस्ताव के मुताबिक सरकारी कंपनी के ऊपर सरकार का कर्ज और उस पर बनने वाला ब्याज व बकाया गारंटी फीस कुल मिलाकर 1502.2 करोड़ रुपए को इक्विटी में परिवर्तित कर दिया जाएगा और कंपनी की इक्विटी पूंजी को उसी के मुताबिक बढ़ाया जाएगा। एचएससीएल की मौजूदा इक्विटी पूंजी 117.1 करोड़ रुपए है। इसे बढ़ाकर 1,619.3 करोड़ रुपए कर दिया जाएगा। कंपनी के सकल घाटे को बट्टे खाते में डालने के बाद एचएससीएल की इक्विटी और चुकता पूंजी 34.3 करोड़ रुपए हो जाएगी। इसके बाद एनबीसीसी कंपनी में 35.7 करोड़ रुपए की इक्विटी पूंजी डालेगी। सरकार भी कंपनी को एकबारगी मदद देगी।

एक अन्य फैसले में हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कारपोरेशन लि (एचएफसीएल) का 9,079 करोड़ रुपए का कर्ज सरकार ने माफ कर दिया है। यह कर्ज वित्तीय पुनर्गठन पैकेज के तहत खत्म किया गया है। मंत्रिमंडल ने 31 मार्च, 2015 तक बकाया 1,916.14 करोड़ रुपए का सरकारी कर्ज व उसी तारीख तक बकाया 7,163.35 करोड़ रुपए का कर्ज माफ करने का फैसला किया।

मंत्रिमंडल ने एचएफसीएल के बकाया के निपटान के लिए बरौनी इकाई के 56 एकड़ एश डाइक भूमि को बिहार स्टेट पावर जनरेशन कंपनी को स्थानांतरित करने की भी मंजूरी दे दी है। इसमें कहा गया है कि बकाया राशि को माफ करने के बाद एचएफसीएल का पंजीकरण औद्योगिक व वित्तीय पुनर्गठन बोर्ड से हटाया जा सकेगा और उसका नेटवर्थ सकारात्मक हो जाएगा। इससे एचएफसीएल की बरौनी इकाई के पुनरुद्धार का रास्ता साफ हो सकेगा। यह इकाई 400 प्रत्यक्ष व 1,200 अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन करेगी।

 

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