विकास योजनाओं का खर्चा उठाने में कमजोर हो चुका नोएडा प्राधिकरण अब वित्तीय मजबूती पर जोर दे रहा है। बकाया वसूली को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए प्राधिकरण ने बिल्डर परियोजनाओं के लिए वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी (एकमुश्त समाधान योजना) लाने की तैयारी की है। प्राधिकरण की तरफ से तैयार किए गए इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए शासन को भेजा गया है। बताया जा रहा है कि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद बिल्डर से मूलधन पर 11 फीसद ब्याज लिया जाएगा।

जानकारों का मानना है कि रियल एस्टेट में मंदी के चलते बिल्डरों के लिए लाभकारी योजना तैयार करने पर ही बकाया वसूली संभव है। इसी कड़ी में यह प्रस्ताव तैयार किया गया है। नोएडा में सैकड़ों की संख्या में बिल्डर परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। ऐसे 120 बिल्डरों को प्राधिकरण ने चूककर्ता (डिफाल्टर) मानते हुए उनके नाम को वेबसाइट पर डाल दिया है। बिल्डरों पर प्राधिकरण का करीब 25 हजार करोड़ रुपए बकाया है। माना जा रहा है कि इतनी बड़ी धनराशि के बकाया होने की मुख्य वजह प्राधिकरण की नीति रही है। जिसके तहत बिल्डरों को महज 10 फीसद रकम लेकर जमीन आबंटित कर दी गई। बिल्डर कंपनियों को बाकी बची 90 फीसद धनराशि को किश्तों के रूप में देना था। कुछ सालों तक तो बिल्डरों ने किश्तें समय से जमा की लेकिन मंदी के दौर में ज्यादातर ने धनराशि जमा करानी बंद कर दी।

इसका नतीजा यह रहा कि ब्याज और जुर्माना मिलाकर यह धनराशि करीब 25 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गई। अधिकारियों का मानना है कि इस रकम के मिलने से शहर में मेट्रो के विस्तार, एलिवेटेड सड़क, अंडरपास और फ्लाइओवर की कई रुकी परियोजनाओं पर काम शुरू हो सकता है। इसी वजह से प्राधिकरण ने बिल्डरों के लिए एकमुश्त समाधान योजना तैयार की है। इस योजना में बिल्डर कंपनियों को मूलधन पर 18 नहीं केवल 11 फीसद ब्याज देना होगा। हालांकि इसके लिए बिल्डरों को एक बार में पूरी किश्त जमा करानी होगी। सूत्रों का मानना है कि शासन से मंजूरी मिलने के बाद यह तय होगा कि बिल्डरों को योजना के तहत कितना समय दिया जाएगा।