Kumbh Mela 2019: प्रयागराज से कुमार सम्भव जैन : बात कुंभ की हो और शाही स्नान का जिक्र तक नहीं हो, यह नामुमकिन है। शाही स्नान के बारे में तो आपने काफी कुछ सुना होगा, लेकिन इस रिपोर्ट में बात करेंगे उस प्रक्रिया की, जो शाही स्नान से पहले आधी रात में ही शुरू हो जाती है। बता दें कि साधु-संत शाही स्नान को अमृत स्नान मानते हैं। इसके लिए वे बनाए गए हर तरह के विधि-विधान और प्रक्रिया का पालन करते हैं। साधु-संत कहते हैं कि शाही स्नान भले ही सुबह 6 बजे शुरू होता है, लेकिन उसके लिए तैयारियां आधी रात से ही शुरू हो जाती हैं।

अखाड़े के प्रमुख तय करते हैं शाही स्नान का वक्त : जूना अखाड़ा 13 मढ़ी के महंत बालानंद गिरि बताते हैं, ‘‘शाही स्नान का वक्त अखाड़े के प्रमुख तय करते हैं। इसके बाद अखाड़े का कोतवाल हर शिविर में जाता है और शाही स्नान के वक्त की जानकारी देता है। यह प्रक्रिया शाही स्नान से एक दिन पहले शाम के वक्त तक हर हाल में पूरी हो जाती है। रात के 12 बजते ही यज्ञ वेदी की राख को इकट्ठा करने का काम शुरू होता है। इस राख को मंत्रों के माध्यम से पुष्ट किया जाता है और राख का गोला बनाकर अग्नि से पवित्र किया जाता है।’’

शाही स्नान से पहले अपने शिविर में भी स्नान करते हैं साधु-संत : महंत बालानंद के मुताबिक, ‘शाही स्नान से पहले सभी साधु-संतों को एक बार स्नान करना पड़ता है। हालांकि, उसका वक्त वे अपने हिसाब से ही तय कर लेते हैं। इस स्नान के बाद शाही स्नान की तैयारी होती है, जिसके लिए अग्नि से पवित्र की गई भभूत को पूरे शरीर पर मल लिया जाता है।’

शाही स्नान से पहले अखाड़े में होता है श्रृंगार : महंत बालानंद बताते हैं कि शाही स्नान से कुछ घंटे पहले सभी शिविरों में मौजूद साधु-संतों को अपने-अपने अखाड़े में एकजुट होना पड़ता है। यहां अखाड़े के अध्यक्ष हर साधु का श्रृंगार करते हैं और उन्हें माला पहनाते हैं। इसके बाद सभी साधु गंगा तट की ओर प्रस्थान करते हैं। रास्ते में सभी साधु-संत अपनी कलाओं का प्रदर्शन करते हैं। इस दौरान कोई तलवारबाजी करता है तो कुछ साधु करतब दिखाते हैं। गंगा तट तक जाने पर अखाड़ों के लोग अपने साधु-संतों की सुरक्षा करते हैं। इसके बाद पुलिस का घेरा मिल जाता है। शाही स्नान करके हर साधु खुद को पुण्य का भागी मानता है।

गंगा के पाप मिटाती है राख : राख से गंगा नदी मैली होने के सवाल पर महंत बालानंद ने बताया, ‘‘इस बारे में गंगा मैया ने भी भगवान शिव से प्रार्थना की थी। उन्होंने कहा था कि प्रभु मानवों के पाप धोते-धोते मेरे पाप बढ़ जाएंगे। इसके बाद मेरा उद्धार कैसे होगा? भगवान शिव ने गंगा मैया को वरदान दिया था कि मकर संक्रांति समेत अन्य पर्वों पर आकाश मार्ग से गंगा में अमृत वर्षा होगी। उस दौरान साधुओं के शरीर पर लगी राख गंगा के एकत्रित सभी पापों को न‌ष्ट कर देगी।’’