आर्थिक हालत मजबूत करने के नाम पर तीन से एक हुए निगम के भू एवं संपदा विभाग के अफसरों और कर्मचारियों की अनदेखी तथा लचर कार्यशैली के कारण निगम को हर महीने लाखों का घाटा उठाना पड़ रहा है। निगम में प्रतिनियुक्ति पर आए अधिकारी बरसों पहले अपने मूल कैडर में लौटने के बावजूद निगम की कालोनियों में आबंटित सरकारी आवास पर कब्जा जमाए बैठे हैं जिससे निगम को हर महीने लाखों का घाटा हो रहा है।
इससे एक तो आर्थिक नुकसान हो रहा है और दूसरी तरफ सरकारी आवास की पात्रता रखने वाले अफसरों व कर्मियों को आवास नहीं मिल पा रहे निगम के आला सूत्रों के मुताबिक अकेले मिंटो रोड पर निगम के आवासीय परिसर में करीब एक दर्जन अधिकारी ऐसे हैं जो प्रतिनियुक्ति की अवधि समाप्त हो जाने के बाद भी बरसों तक सरकारी आवास में जमे रहे। इनमें उपायुक्त स्तर के भी कई अधिकारी हैं।
इसके साथ ही अवकाश प्राप्त कर्मचारी भी भू संपदा विभाग के अधिकारियों की आंखों में धूल झोंककर निगम को लाखों का घाटा दे रहे हैं। धिकारियों के लिए बने निगम के इस प्रकार के फ्लैट मिंटो रोड के अलावा राजपुर रोड, करोलबाग और अन्य इलाकों में भी हैं। निगम सूत्रों का कहना है कि ऐसा लगता है कि वरिष्ठ अधिकारी भी इस गड़बड़झाले को जानबूझकर नजरअंदाज कर रहे हैं क्योंकि पहले से ही ऐसा होता चला आ रहा है। सूत्रों का कहना है कि निगम की मिंटो रोड स्थित कालोनी में करीब 39 फ्लैट टाईप चार और पांच के बने हुए हैं।
टाइप चार के फ्लैट में रह रहे किसी अधिकारी की प्रतिनियुक्ति की अवधि यदि समाप्त हो चुकी है या वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं तो उन्हें बाजार दर के हिसाब से करीब 30-32 हजार और टाइप पांच के फ्लैट का 40-50 हजार रुपए किराया देना पड़ता है। इसके बावजूद वे अधिकतम छह महीने तक ही रह सकते हैं। लेकिन अकेले मिंटो रोड में ही कई ऐसे रसूखदार अधिकारी रह रहे हैं जिनकी प्रतिनियुक्ति की अवधि बरसों पहले समाप्त हो चुकी है लेकिन अभी तक उन्होंने आवास खाली नहीं किया हैं।
बताया जा रहा है कि एक अधिकारी तो अपना लाखों रुपए का बकाया न जाने किस नियम के तहत माफ करवा कर निगम आवास खाली करके चले गए। जबकि उपायुक्त स्तर के कई अधिकारी तो अभी भी बरसों से कुंडली मारे बैठे हुए हैं जबकि वे कई साल पहले निगम से अपने मूल कैडर में चले गए। सूत्रों का कहना है कि अगर इन अफसरों को नोटिस भेजा जाए तो कुछ पर तो 25-25 लाख रुपए तक बकाया निकलेगा।
ऐसा तब हो रहा है कि जब निगम आर्थिक तंगी के बोझ से इस कदर दबा हुआ है कि वह दो या तीन साल पहले सेवानिवृत्त हो चुके अपने कर्मचारियों को कई-कई महीने तक उनकी पेंशन और सेवानिवृत्ति के अन्य लाभ भी नहीं दे पा रहा है।बताया तो यहां तक जा रहा है कि कई सेवानिवृत्त कर्मी अपनी बेटी की शादी नहीं कर पा रहे हैं और बहुत से कर्मियों ने सेवा में रहते हुए खरीदे गए फ्लैट की किस्त देना बंद कर दिया है।