अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को लेकर पार्टियां चुनाव जीतने के लिए प्रचार के साथ साथ डमी कैंडिडेट खड़े करने भी खासा जोर दे रही हैं। बता दें कि डमी कैंडिडेट वो उम्मीदवार होते हैं, जिन्हें चुनावी जीतने के लिए मोहरे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। ये विरोधियों का वोट काटने से लेकर अपने पक्ष में प्रचार करने के काम में आते हैं। हिंदी न्यूज चैनल आजतक की ओर से किए गए एक स्टिंग ऑपरेशन में इन डमी कैंडिडेट से जुड़ा बड़ा खुलासा किया गया है। इस स्टिंग ऑपरेशन में बताया गया है कि कैसे डमी उम्मीदवारों को खड़ा किया जाता है और कैसे ये वोट बैंक में सेंध लगाते हैं।
न्यूज चैनल ने वसी अहमद, राजेश भारती, शारिक उस्मानी से बातचीत की और इस दौरान डमी कैंडिडेट को लेकर कई खुलासे हुए। वैसे तो चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक किसी राज्य के विधानसभा चुनाव में एक उम्मीदवार अधिकतम 16 लाख रुपये प्रचार में खर्च कर सकता है। लेकिन इस स्टिंग ऑपरेशन में खुलासा हुआ कि पार्टियां करोड़ों रुपये खर्च करके डमी उम्मीदवार खड़े कर रहे हैं क्योंकि अगर चुनाव में 20 उम्मीदवार खड़े करने हैं तो करीब 10 करोड़ का खर्चा होता है। इतना ही नहीं इन तीनों ने ये बात भी मानी कि उन्होंने पहले भी ये काम किया है और डमी कैंडिडेट खड़े किए हैं।
डमी कैंडिडेट खड़े करने की प्रक्रिया के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि दूसरी पार्टी रजिस्टर करके डमी कैंडिडेट खड़े किए जाते हैं। साथ ही उन्होंने ये बताया कि इससे फायदा होता है कि इससे डमी कैंडिडेट प्रचार भी कर देते हैं और गाड़ियां भी उनकी ही होती है। उन्होंने बताया कि वो साल 2002 में भी राष्ट्रीय आवामी दल के नाम से 10 उम्मीदवार खड़े कर चुके हैं। ऐसे में ये साफ हो गया है कि चुनाव से पहले डमी कैंडिडेट खड़े करने का जाल हर तरफ बिछा हुआ है।